चेन्नई। तमिलनाडु में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के और जोर पकड़ने की उम्मीद है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों के लिए गठबंधन बनाने और सीटों की हिस्सेदारी के लिए अब केवल दो सप्ताह बचे हैं।
चुनाव आयोग ने 16वीं विधानसभा के लिए छह अप्रैल को एक चरण में चुनाव कराने की घोषणा की है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार 12 मार्च से नामांकन दाखिल करना शुरू करेंगे।
आयोग के मुताबिक नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 19 मार्च होगी । इसके ठीक अगले ही दिन नामांकन पत्रों की जांच होगी। नाम वापस लेने की अंतिम तारिख 22 मार्च है। इसके बाद छह अप्रैल को मतदान होगा जिसके तीन सप्ताह बाद तीन मई को वोटों की गिनती की जाएगी।
सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के नेता एवं मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी, जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी हैं, तथा विपक्षी द्रमुक के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने अपने-अपने चुनाव अभियानों की शुरूआत कर दी है। आने वाले समय में नेताओं के दौरे में काफी तेजी आ जाएगी।
अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा का गठबंधन पक्का हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के साथ-साथ पुड्डुचेरी में भी गुरुवार को चुनाव अभियान का श्रीगणेश किया। समय बहुत कम रह गया है और दोनों मोर्चों – जिसमें एक में अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा का गठबंधन है तो दूसरे में द्रमुक का कांग्रेस के साथ तालतेल की संभावना है। इन गठबंधनों को अंतिम रूप देने के लिए सीट साझाकरण वार्ता, निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करना और पहले उम्मीदवारों को नामांकित करने जैसे काम को जल्द ही पूरा करना होगा।
इसके अलावा मैदान में अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन की मक्कल नीधि मैयम, पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी रहीं वी शशिकला से जुड़े टीटीवी दिनाकरन के नेतृत्व वाले एएमएमके और अभिनेता-निर्देशक सेमैन की पार्टी भी शामिल है।
हालांकि, कोरोना महामारी और विभिन्न कारणों पर विचार करने के बाद लगता है कि चुनाव काफी जल्दबाजी में कराये जा रहे हैं। बोर्ड की प्लस दो परीक्षाओं के बावजूद चुनाव हो रहे हैं जिसके लिए पार्टियों को सिर्फ दो सप्ताह का समय मिल रहा है। आगामी 12 मार्च को नामांकन दाखिल करने से पहले अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना होगा।
वर्ष 2016 में, अन्नाद्रमुक ने छोटी पार्टियों के साथ मिलकर 234 सीटों पर चुनाव लड़ा और 136 सीटें जीतीं। जयललिता ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने अपने गुरु और पार्टी के संस्थापक एमजीआर के 1984 के प्रदर्शन को दोहराया था।
द्रमुक ने पिछले चुनाव में 178 सीटों पर लड़कर 50 फीसदी सीटों 89 पर जीत हासिल की। द्रमुक मजबूत विपक्ष बनने में कामयाब रहा लेकिन सहयोगी कांग्रेस के खराब प्रदर्शन ने गठबंधन को कमजोर किया। कांग्रेस 41 में से केवल आठ सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी।
पीपुल्स वेलफेयर फ्रंट जिसमें अभिनेता से राजनेता बने विजयकांत की डीएमडीके, वाइको की अगुवायी वाली एमडीएमके, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, टीएमसी और वीसीके शामिल हैं, ने पिछला चुनाव तीसरे मोर्चा के रूप में लड़ा लेकिन इसमें किसी को कोई खास फायदा नहीं हुआ। भाजपा और पीएमके ने अपने-अपने बूते चुनावों का सामना किया था।
हालांकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में परिदृश्य बदल गया। जब द्रमुक के नेतृत्व वाले मोर्चे में कांग्रेस, भाकपा, माकपा, एमडीएमके, वीसीके और आईजेके ने जबरदस्त जीत हासिल करते हुए 39 सीटों में से 38 पर जीत हासिल की थी ।
अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा,डीएमडीके और टीएमसी भी उनके सहयोगियों के रूप में, केवल एक सीट जीतने में कामयाब रही। इसी गठबंधन पैटर्न को जारी रखने की उम्मीद के साथ सभी पार्टियां विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुयी हैं।