नयी दिल्ली । भूतपूर्व सैनिकों द्वारा सेनाओं के कथित राजनीतिकरण को लेकर तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे गये कथित पत्र को लेकर विवाद पैदा हो गया है।
मीडिया रिपोर्टों में इस पत्र के आने के बाद जब राष्ट्रपति भवन से इसके बारे में पूछा गया तो एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति भवन को अब तक इस तरह का कोई पत्र नहीं मिला है। उधर इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले तीन सैन्य प्रमुखों ने भी इंकार किया है कि उन्होंने इस तरह के किसी पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले डेढ सौ से अधिक पूर्व सैनिकों में 8 सैन्य प्रमुख हैं जिनमें तीन पूर्व सेना प्रमुख, चार पूर्व नौसेना प्रमुख और एक पूर्व वायु सेना प्रमुख हैं।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि दो पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने इस पत्र के लिए समर्थन नहीं दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि फर्जी पत्र लिखे जा रहे हैं। वह इसकी कड़ी निंदा करती हैं। उन्होंने कहा कि यह पत्र राष्ट्रपति भवन तक भी नहीं पहुंचा है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस पत्र को कांग्रेस पार्टी की ‘फेक एंड फेब्रिकेटिड न्यूज फैक्ट्री में तैयार किया गया है। यह चिट्ठी राष्ट्रपति भवन पहुंचने से पहले कांग्रेस के नेताओं के हाथ में पहुंच चुकी थी।
भूतपूर्व सैनिकों के कथित पत्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘मोदी की सेना’ वाले बयान का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एन सी सूरी , पूर्व उप सेना प्रमुख ले जनरल एम एल नायडू और पूर्व सेना प्रमुख जनरल एस एफ रोड्रिग्स ने इस पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात से इंकार किया है। इन सभी ने कहा है कि उनसे पूछे बिना उनका नाम इस पत्र में दिया गया है।उधर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता और पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कुमार और कुछ अन्य ने कहा है कि यह पत्र सही है और उन्होंने इस पर हस्ताक्षर किये हैं।
पत्र में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है और राजनीतिक दलों को चुनावी प्रचार के दौरान सैन्य वर्दियों, चिन्हों,पोस्टरों और पाकिस्तान का लड़ाकू विमान गिराने वाले वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के फोटो का इस्तेमाल ने करने की हिदायत देने के लिए कहा गया है।