पुरी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओडिशा के दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन रविवार को जगन्नाथ मंदिर में सपत्नीक पूजा-अर्चना की और भगवान जगन्नाथ के नवकलेवर महोत्सव के मौके पर 10 और 1000 रुपये के स्मारक सिक्के जारी किए। कोविंद ने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के शताब्दी समारोह को भी संबोधित किया।
कोविंद शनिवार शाम यहां पहुंच गए थे और उन्होंने विशेष सर्किट हाउस में रात्रि विश्राम किया। श्री कोविंद पत्नी सविता कोविंद के साथ सुबह में 12वीं सदी में निर्मित जगनाथ मंदिर गए तथा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र तथा बहन देवी सुभद्रा की पूजा-अर्चना की।
राष्ट्रपति ने अपने पिता के साथ नौ अक्टूबर 1947 को जगन्नाथ मंदिर में किए पूजा-अर्चना को याद करते हुए कहा कि तब वह केवल आठ साल के थे। उन्होंने कहा कि वह मंदिर में दोबारा आकर और भगवान की पूजा-अर्चना करके स्वयं को धन्य महसूस कर रहे हैं।
कोविंद और उनकी पत्नी के दौरे को लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। राष्ट्रपति के दौरे के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं और आगंतुकों के प्रवेश पर कुछ देर के लिए रोक लगा दी गई थी।
कोविंद साथ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्य के राजस्व मंत्री महेश्वर मोहंती, जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक प्रदीप जेना और पुरी के जिलाधिकारी अरविंद अग्रवाल भी थे।
कोविंद और उनकी पत्नी ने मुक्ति मंडप के पंडितों से आशीर्वाद लिया तथा मंदिर परिसर में स्थित मां विमला तथा लक्ष्मी मंदिर में भी पूजा-अर्चना की। कोविंद को जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से तीनों आसीन भगवानों का एक चित्र भी भेंट किया गया।
राष्ट्रपति ने बाद में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के शताब्दी समारोह को भी संबोधित किया। उसी समारोह में कोविंद ने भगवान जगन्नाथ नवकलेवर महोत्सव के माैके पर 10 और हजार रुपये के स्मारक सिक्के भी जारी किए। केद्र सरकार ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के स्मारक सिक्कों को जारी करने की घोषणा की थी।