नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के बाद देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के सम्मान में बनाए गए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का सोमवार को उद्घाटन किया।
मोदी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष भामरे और तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में अमर ज्योति को प्रज्वलित कर स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया। इससे पहले सर्वधम प्रार्थना की गई।
ज्योति प्रज्वलित करने के बाद मोदी, सीतारमण, डॉ भामरे और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उसी समय वायु सेना के तीन हेलिकॉप्टरों ने फ्लाई पास्ट किया और पुष्प बरसाए।
बाद में मोदी ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि राष्ट्रीय समर स्मारक हमारे सैनिकों की वीरता, त्याग और शौर्य का प्रतीक है जिस पर हर भारतीय गर्व की अनुभूति करता रहेगा। यह स्मारक हमें देश के लिए पल-पल जीने एवं कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देता रहेगा। वीरता एवं शाहदत के इस तीर्थस्थल को वंदन। वंदेमातरम।
इससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार ‘परम वीर चक्र’ से सम्मानित 21 वीरों को नमन किया। स्मारक में इनकी कांस्य निर्मित आवक्ष प्रतिमाओं को लगाया गया है। इनमें 15 काे मरणोपरांत और छह को जीवित रहते हुए यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। वह तीन परमवीर चक्र विजेताओं से मिले भी।
यह स्मारक आजादी के बाद विभिन्न युद्धों और घटनाओं में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले 25 हजार से अधिक शहीदों की याद में बनाया गया है। यह भावी पीढ़ियों को सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान से अवगत कराएगा तथा देशभक्ति की भावना से प्रेरित करेगा। यह स्मारक 40 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है जो विश्व का सबसे बड़ा स्मारक है।
स्मारक के निर्माण में 22 पेड़ों को काटना पड़ा लेकिन सेना ने उनके स्थान पर 750 पेड़ लगाए हैं। इस पर 176 करोड़ रूपए की लागत आई है। इस स्मारक का निर्माण कार्य फरवरी 2018 में शुरू किया गया और इसे एक वर्ष के रिकार्ड समय में पूरा कर लिया गया है।
स्मारक में ईंटों पर 25942 सैनिकाें और अधिकारियों के नाम लिखे हैं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। समय समय पर चलाए जाने वाले सैन्य अभियानों में शहीद होने वाले जवानों के नाम भी इसमें शामिल किए जाएंगे। इस स्मारक की खासियत यह है कि इसमें अलग से एक परम योद्धा स्थल है