प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा पर 29 अक्टूबर से सऊदी अरब जा रहे हैं। पीएम माेदी सऊदी अरब के पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड की ओर से 29 से 31 अक्तूबर के बीच होने वाले तीन दिवसीय कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। कश्मीर को वैश्विक मुद्दा बनाने की पाकिस्तान की कोशिशों और देश में आर्थिक मंदी की आहट के बीच पीएम की सऊदी अरब की इस दूसरी यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सऊदी अरब के रियाद शहर में होने जा रहे तीसरे फ्यूचर इनवेस्टमेंट इनिशिएटिव (एफआईआई) भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें सऊदी के नीति निर्माताओं और दुनियाभर के व्यापारिक प्रतिनिधियों का आमना सामना होता है। व्हाट इज नेक्स्ट फॉर ग्लोबल बिजनेस की थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में सऊदी अरब दुनियाभर में निवेश सहित अपने यहां विकास में विदेशी निवेश की संभावनाएं टटोलता है। मंदी की आहट के बीच भारत के लिए यह कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण है।
ग्लोबल मंदी के बीच देश में निवेश और आर्थिक विकास को मिलेगी गति
सऊदी अरब की अपनी दूसरी यात्रा पर पीएम मोदी ग्लोबल मीट में देश में निवेश और आर्थिक विकास को गति देने की संभावना तलाशेंगे। इसके अलावा कश्मीर के मामले में मुस्लिम देशों में बेहद अहम सऊदी अरब का सार्वजनिक समर्थक हासिल करने का प्रयास करेंगे। 2016 में सऊदी अरब ने पीएम को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया था, इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में नजदीकी आने का संकेत मिला था। इसकी पुष्टि तब हुई थी जब सऊदी अरब ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के मामले में पाकिस्तान की मुस्लिम देशों को एकजुट करने की मुहिम से खुद को अलग कर लिया था।
पीएम मोदी की यात्रा इसलिए लिए और महत्वपूर्ण है कि अभी पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सऊदी अरब जाकर वहां कश्मीर मुद्दे पर समर्थन मांगा था। लेकिन सऊदी जम्मू कश्मीर मामले में तटस्थ भूमिका में नजर आया। मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मलेशिया और तुर्की ही ऐसे देश रहे हैं जो कि पाक पीएम इमरान खान के समर्थन में आगे आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सऊदी अरब के बाद तुर्की जाना था लेकिन तुर्की के प्रधानमंत्री के द्वारा कश्मीर मामले में इमरान खान के पक्ष में खड़े होने पर पीएम मोदी ने अपनी तुर्की यात्रा रद कर दी थी।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार