नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सितंबर को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) की शुरुआत करेंगे और उसी दिन देश भर में इसकी 650 शाखाओं और 3,250 सेवा केंद्रों (डाकघरों) में बैंकिंग सुविधाएँ मिलनी शुरू हो जायेंगी।
मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज यहाँ हुई बैठक में आईपीपीबी के लिए प्रौद्योगिकी तथा मानव संसाधन विकास के मद में 635 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। पहले इसके लिए 800 करोड़ रुपये मंजूर किये गये थे जो अब बढ़कर 1,435 करोड़ रुपये हो गये हैं।
संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने इस फैसले की जानकारी देते हुये बताया कि इस साल 31 दिसंबर तक देश के सभी एक लाख 55 हजार डाकघरों को सेवा केंद्रों के रूप में आईपीपीबी से जोड़ दिया जायेगा। इस काम को पूरा करने की समय अवधि घटाने के कारण 635 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राशि की आवश्यकता हुई है जिसमें 400 करोड़ रुपये प्रौद्योगिकी विकास के लिए तथा 235 करोड़ रुपये मानव संसाधन विकास के लिए दिये जायेंगे।
पहले आईपीपीबी की शुरुआत 21 अगस्त को होनी तय थी लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के कारण राष्ट्रीय शोक की घोषणा के बाद इसे टाल दिया गया था।
सिन्हा ने बताया कि एक सितंबर को आईपीपीबी की सभी 650 शाखाओं और 3250 सेवा केंद्रों पर बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। ये कार्यक्रम दोपहर बाद 2.15 बजे शुरू होंगे। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले कार्यक्रम को प्रधानमंत्री अपराह्न सवा तीन बजे संबोधित करेंगे। इसका सभी 3900 केंद्रों पर सीधा प्रसारण किया जायेगा। प्रधानमंत्री का संबोधन करीब डेढ़ घंटे चलेगा।
उन्होंने कहा कि इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक देश में सर्वाधिक पहुँच वाला, किफायती और भरोसेमंद बैंक होगा। भारतीय डाक के एक लाख 55 हजार डाकघरों में से एक लाख 30 हजार ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। गाँवों में अब तक बैंकों की शाखाएँ महज 49 हजार हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करना है। वित्तीय समावेशन के साथ इसके माध्यम से ग्रामीण इलाकों में वित्तीय शिक्षा कार्यक्रम भी चलाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि आईपीपीबी में खाता खोलने के लिए केवल आधार कार्ड अनिवार्य होगा। आधार कार्ड के जरिये ग्राहक एक मिनट के अंदर अपना खाता खोल सकेगा। ग्राहक को क्यूआर कोड वाला कार्ड दिया जायेगा और ट्रांजेक्शन कार्ड के साथ ग्राहक के बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन से पूरा होगा।
मंत्री ने बताया कि आईपीपीबी में बचत खाता, चालू खाता, रिमिटेंस, धन हस्तांतरण, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, बिल भुगतान, एवं उपक्रम तथा व्यापारियों को भुगतान की सुविधा होगी। बैंक पूरी तरह डिजिटल होगा और ग्राहक माइक्रो एटीएम, आईवीआर, मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग, एसएमएस और काउंटर पर लेनदेन कर सकेंगे। अभी 11 हजार माइक्रो एटीएम के साथ शुरुआत की जा रही है।
उन्होंने कहा कि देश में 32 करोड़ रुपए से अधिक जन धन खाते खोले जाने के बाद वाणिज्यिक बैंक दबाव महसूस कर रहे हैं। उम्मीद है कि उनमें से बड़ी संख्या में जन धन खाते आईपीपीबी में स्थानांतरित होंगे। डाकघरों में इस समय 17 करोड़ डाक बचत खाते हैं। उन्हें भी धीरे-धीरे आईपीपीबी खातों में बदला जाएगा।
सिन्हा ने बताया कि हालाँकि रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार भुगतान बैंकों को बीमा तथा ऋण देने की अनुमति नहीं है, लेकिन तीसरे पक्ष के जरिये ग्राहकों को ये सुविधाएँ भी दी जायेंगी। ऋण के लिए आईपीपीबी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से करार किया है। वह पीएनबी के एजेंट के रूप में काम करेगा और पीएनबी की दरों पर ही ग्राहकों को ऋण उपलब्ध होंगे। बीमा के लिए बजाज एलाएंज लाइफ इन्श्योरेंस के साथ समझौता किया गया है।
उन्होंने बताया कि देश भर के तीन लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों तथा एक लाख 55 हजार डाकघरों के नेटवर्क के साथ पहुँच के मामले में आईपीपीबी अपने अन्य प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे है। डाक विभाग और आईपीपीबी मिलकर लोगों के बीच भुगतान बैंक को लोकप्रिय बनाने का काम करेंगे। औपचारिक शुरुआत से पहले ही इसके चार लाख खाताधारक हो चुके हैं।
ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए डाकियों एवं ग्रामीण डाकसेवकों को स्मार्ट फोन और अंगूठे के निशान की पहचान करने वाली मशीन दी जायेगी जिनके माध्यम से बायोमिट्रिक ऑथेंटिकेशन संभव होगा। अब तक 18000 एजेंटों को प्रशिक्षित किया जा चुका है तथा प्रशिक्षण का काम लगातार जारी है। डाकघर भुगतान बैंक से बैंकिंग 3500 प्रशिक्षत पेशेवर बैंकिंग कर्मचारियों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
मंत्री ने बताया कि बैंक की प्रौद्योगिकी इस प्रकार बनायी गयी है कि इसमें भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं होगी और यह ‘लीकेज’ से पूरी तरह मुक्त होगा। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार होगा कि ग्रामीण भारत का सबसे बड़ा बैंक आईपीपीबी लोगों के दरवाजे पर मौजूद होगा। यह बैंक गरीबों का बैंक होगा और भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को और बढ़ाने में इसका अहम योगदान होगा।