वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने सोमवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम परिसर का लोकार्पण करते हुये कहा कि यह परिसर नए भारत की विकास यात्रा का प्रतीक बनकर उभरा है और समर्थ भारत के भविष्य का साक्षी बनेगा।
दो दिवसीय काशी प्रवास पर वाराणसी पहुंचने के बाद मोदी ने विश्वनाथ मंदिर में नवनिर्मित परिसर का लोकार्पण करने से पहले पूर्ण विधि विधान से संपन्न हुए धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लिया।
काशी विश्वनाथ धाम परिसर का लोकार्पण करने के बाद मोदी ने अपने संबोधन में इस परियोजना को युगांतरकारी बताया। उन्होंने कहा कि काशी ने जब भी करवट ली है, तब देश का भाग्य बदला है। ये परिसर हमारे सामर्थ्य और कर्तव्य का साक्षी है। हम भारतीय अगर ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है।
मोदी ने देशवासियों से अपने पुरुषार्थ से देश के विकास को नई ऊंचाई तक ले जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष पुरानी काशी से मैं देशवासियों से आह्वान करता हूं कि हर भारतवासी जहां भी है, जिस क्षेत्र में है, वह अपने अनूठे और नवोन्मेषी काम जारी रखें। जिससे देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके।
इससे पहले उन्होंने भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना कर गंगा नदी के तट पर स्थित ललिता घाट पर गंगा स्नान किया। इस माैके पर उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे।
मोदी ने मंदिर परिसर में भगवान विश्वनाथ का गंगा जल से जलाभिषेक कर धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किया। लगभग आधा घंटे से अधिक समय तक चलने वाले अनुष्ठान कार्य को 51 सिद्धपीठों और 12 ज्योर्तिलिंग के पुजारी संपन्न कराया।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होने के बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर का विधिवत लोकार्पण किया। इस अवसर पर योगी के अलावा उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य विशिष्ट अतिथि मौजूद थे।
करीब 339 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना के पहले चरण में निर्मित काशी विश्वनाथ धाम परिसर में निर्मित कुल 23 भवनों का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया। ये भवन काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करेंगे। इनमें यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, दर्शक दीर्घा, फूड कोर्ट आदि शामिल हैं।
इस परियोजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना अब लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है। जबकि अभी तक मंदिर परिसर तकरीबन 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। कोविड महामारी के बावजूद इस परियोजना का निर्माण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही पूरा कर लिया गया है।
परियोजना को रैंप, एस्केलेटर और अन्य आधुनिक सुविधाओं के साथ डिज़ाइन किया गया, ताकि दिव्यांगजनों और वृद्ध लोगों को पहुंचने में आसानी हो। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के तहत यह भी सुनिश्चित किया जाना था कि परियोजना के विकास के दौरान सभी विरासत संरचनाओं को संरक्षित किया जाए।
यह दूरदर्शिता तब काम आई, जब पुरानी संपत्तियों को नष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोज निकाला गया। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है और इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि मूल संरचना में कोई बदलाव न हो।
प्रधानमंत्री माेदी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार रूप देने में श्रमि शक्ति के योगदान का भी जिक्र करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मैं आज अपने हर उस श्रमिक भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है। कोरोना के विपरीत काल में भी, उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया। मुझे अभी अपने इन श्रमिक साथियों से मिलने का, उनका आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला है।
मोदी ने परिसर का लोकार्पण करने से पहले सभी श्रमिकों के पास जाकर उन पर पुष्पवर्षा कर उनके प्रति अपना आभार प्रकट किया। लोकार्पण के बाद मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने मंदिर परिसर में नवनिर्मित भोजनालय में जाकर श्रम सेवकाें के साथ भोजन भी किया।
प्रधानमंत्री ने श्रमिकों की लगन और निष्ठा को अनुकरणीय बताते हुए कहा कि हमारे कारीगर, हमारे सिविल इंजीनयरिंग से जुड़े लोग, प्रशासन के लोग, वो परिवार जिनके यहां घर थे सभी का मैं अभिनंदन करता हूं।
इनके अलावा उन्हाेंने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी के सक्रिय सहयोग के लिए भी आभार व्यक्त करते हुए कहा उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परियोजना को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।
मोदी ने अपने संबोधन में काशी के महत्व को इंगित करते हुए कहा कि हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है।
काशी के शाश्वत स्वरूप को बताते हुए उन्होंने कहा कि काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है।
नवनिर्मित काशी विश्वनाथ धाम परिसर की विशेषताओंं का भी उन्होंने जिक्र किया। मोदी ने कहा कि विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का। ये प्रतीक है, हमारी आध्यात्मिक आत्मा का। ये भारत की प्राचीनता और परम्पराओं तथा भारत की ऊर्जा और गतिशीलता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। मोदी ने कहा कि कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस परिसर में सैलानियों को मिलने वाली नई सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वह अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु दर्शन लाभ ले सकेंगे। अब दर्शनार्थी पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान करके गंगा घाट से सीधे विश्वनाथ धाम पहुंच सकेंगे।