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prithvi ka ant kab hoga aur kaise hoga aur kyo hoga - Sabguru News
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पृथ्वी का अंत कब, क्यों और कैसे | Happy Earth Day

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पृथ्वी का अंत कब, क्यों और कैसे | Happy Earth Day
happy earth day

earth sabguru.com/18-22

पृथ्वी दिवस | आज पृथ्वी दिवस है आप सभी को पृथ्वी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं पृथ्वी जो कि ब्रह्मांड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिस का रहस्य पूरी तरीके से आज तक कोई नहीं समझ पाया है अलग अलग शोध के अनुसार पृथ्वी को लेकर अलग-अलग तथ्य से निकल के सामने आए हैं जिसमें कई बार यह भी कहा जाता है कि पृथ्वी एक एकमात्र ग्रह है जहां पर जीवन मौजूद है।

और साथ ही में कहीं शोधकर्ता यह भी बताते हैं कि पृथ्वी के अलावा भी कई और ग्रह है जहां पर जीवन संभव है जिसे अन्य भाषा में हम लोग यह भी कहते हैं कि किसी और ग्रह पर एलियन रहते हैं अब इसमें कितनी सच्चाई है और कितनी नहीं यह तो इसके मुख्य शोध की जानकारी निकलकर आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन आपको यह जरूर बता दें एक समय आने वाला है जब पृथ्वी का अंत भी हो सकता है उसी के बारे में आज के इस पोस्ट में हमने आपको बताया है।

पृथ्वी हमारे सौरमंडल का तीसरा और केवल ऐसा गृह है जिस पर जीवन संभव है। यूं तो पृथ्वी की संरचना लगभग करोडों साल पहले हुई थी पर पृथ्वी का अंत कब और कैसे होगा इसका सही-सही अनुमान अभी तक कोई नही लगा पाया है।
इस खबर में हम आपको बताएंगे की पृथ्वी पर जीवन का अंत किस तरह हो सकता है। यह थियोरीस 100 प्रतिशत सही-सही नहीं है पर फिर भी यह हमें एक झलक दे सकती है की पृथ्वी पर जीवन का अंत किस तरह होगा।

1. क्षुद्र गृहों से टकराव: क्षुद्र गृह यानि की एस्ट्रॉयड। पहले हम जानेंगे की क्षुद्र गृह क्या होता है और यहां कहा पर है। क्षुद्र गृह या एस्ट्रॉयड वो पत्थर हे जो ब्रमांड में घूम रहे है और जो की हमारे सौरमंडल के गृहों की भाति सूर्य की परिक्रमा करते हैं। वैसे तो यह पूरे ब्रमाण्ड में हैं पर हमारे सौरमंडल में यह मंगल और बृहस्पति गृह के बीच में एस्ट्रॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं और जिसमें करोडों एस्ट्रॉयड हैं जो सूर्य कि परिक्रमा कर रहे हैं।

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ऐसा ही एक एस्ट्रॉयड एपोफ़िस जो की माना जा रहा था की धरती से 2036 में टकराएगा जो की 300 मीटर चौडा था। यू तो इसका आकर पृथ्वी से काफी छोटा था पर अगर ये पृथ्वी से टकराता तो इतनी ऊर्जा पैदा होती जो की एटम बम से लगभग एक लाख गुना ज्यादा होती।

जो की पृथ्वी पर जीवन को नष्ट करने के लिए काफी थी। पर हमारे वैज्ञानिकों का अनुमान गलत गया और यह एस्ट्रॉयड 2013 में पृथ्वी के पास से निकल गया।

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2. ज्वाला मुखी का फटना: ज्वाला मुखी के फटने में पृथ्वी पर जीवन को बहोत बार अस्त-व्यस्त किया है। 1816 में एक छोटे सा ज्वालामुखी लगभग 1,50,000 लोगो की जान ले गया पर दोस्तों जरा सोचिये अगर सुपर वोल्केनो फट जाए तो क्या होगा। क्योकि जहाँ साधारण वोल्केनो में लगभग एक किलोमीटर क्यूब तक का मेग्मा होता हे वही सुपर वोल्केनो में लगभग एक हजार किलोमीटर क्यूब तक का मेग्मा होता हे। और सुपर वोल्केनो के फटने से बहोत बड़े धूल के गुब्बारे बन जाएंगे जो की सूर्य की किरण को धरती पर सालो तक नही आने। जिससे पृथ्वी का तापमान बहोत कम हों जाएगा जो की धरती पर जीवन को अंत कर देगा। पूरा पढ़े