नई दिल्ली। दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा के बीच डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर चालू होने के बाद इन दोनों मार्गों काे सेमी हाईस्पीड डेडिकेटेड पैसेंजर कॉरीडोर के रूप में विकसित किया जाएगा और उन पर निजी ऑपरेटरों को ट्रेनें चलाने की अनुमति दी जाएगी।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने बताया कि भारतीय रेलवे ने एक दीर्घकालिक योजना के तहत इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2021 के बीच करीब तीन हजार किलोमीटर के डीएफसी चालू हो जाएगा। इसके बाद दिल्ली से मुंबई और हावड़ा के मार्ग केवल यात्री गाड़ियों के लिए ही रह जाएगा।
उन्होंने कहा कि रेलवे की दिल्ली, मुंबई, चेन्नई एवं कोलकाता को एक दूसरे से जोड़ने वाले ग्रांड क्वार्डिलेटेरल और ग्रांड कोर्ड मार्गों की गति 160 किलोमीटर करने की एक योजना कैबिनेट द्वारा मंजूर की गयी है। दिल्ली मुंबई एवं दिल्ली हावड़ा मार्गों पर यह काम किया जाएगा। इसके बाद अन्य मार्गों के लिए तीन डीएफसी और बनाने का काम शुरू होगा। उन्होंने कहा कि ग्रांड क्वार्डिलेटेरल और ग्रांड कोर्ड मार्गों पर रेलवे का 60 प्रतिशत से अधिक यातायात चलता है।
श्री यादव ने कहा कि दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा मार्गों पर पर्याप्त क्षमता विकसित होने के बाद उन पर निजी ट्रेन ऑपरेटरों को गाड़ी चलाने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसमें अभी कई वर्ष लगेंगे। पर रेलवे दीर्घकालिक योजना पर काम शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि प्राइवेट ट्रेन परिचालन के प्रायोगिक परीक्षण या पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली से लखनऊ और मुंबई से अहमदाबाद के बीच तेजस एक्सप्रेस चलाने का निर्णय लिया गया है और उनमें लोको पायलट, गार्ड को छोड़कर गाड़ी के भीतर पूरा प्रबंधन, टिकट बुकिंग से लेकर खानपान, चादर-तौलिया, साफ-सफाई, विज्ञापन, मनोरंजन आदि की जिम्मेदारी परिचालन करने वाली कंपनी की होगी।
इन दोनों गाड़ियों का परिचालन भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) करेगी। दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस का परिचालन अगले माह शुरू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट के खामियों एवं खूबियां का अध्ययन किया जाएगा और उसके आधार पर सेवाशर्तों काे दुरुस्त करके सही किया जाएगा।
रेलवे नियामक प्राधिकरण के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि प्राधिकरण के पुराने स्वरूप में और आज की जरूरत में फर्क आ गया है। उन्होंने कहा कि निजीकरण बढ़ेगा तो नियामक की भी जरूरत होगी। नियामक एक ही हो सकता है। इस कारण से प्राधिकरण की नई भूमिका के बारे में गहन विचार करके नई रूपरेखा बनायी जा रही है और इसके बाद इसे लागू किया जाएगा।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि रेलवे में ई-कैटरिंग को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है ताकि यात्रियों को अपने मनपसंद ब्रांड का खाना मिल सके। गरीब यात्रियों के लिए सस्ते खाने के बारे में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पचास रुपए में अच्छी गुणवत्ता वाला दाल चावल, छोले भटूरे, राजमा चावल, पूड़ी सब्जी या दक्षिण भारत के व्यंजन देने की भी योजना है। उन्होंने बताया कि रेलवे ने अपने छह हजार स्टेशनों पर मुफ्त वाई फाई सुविधा प्रदान करने का कार्यक्रम सफलता पूर्वक क्रियान्वित किया है। 44 बेस किचेन को सीसीटीवी कैमरों के दायरे में लाया गया है।
रेलवे के रोलिंग स्टॉक यानी कोच एवं इंजन के आधुनिकीकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रेलवे अपने उत्पादन संयंत्रों के आधुनिकीकरण के साथ निर्यात पर ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि रेलवे एलएचबी कोचों का भी आधुनिकीकरण करेगी।
वंदे भारत एक्सप्रेस के ट्रेनसेट के उत्पादन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाले वंदे भारत एक्सप्रेस के पहले रैक में बिजली की खपत वैश्विक मानकों की तुलना में बहुत अधिक हो रही है।
बिजली की खपत ज्यादा होने के कारण एक सेक्शन में मात्र दो ही गाड़ियों का परिचालन संभव हो पा रहा है। इसलिए रेलवे ने फैसला किया कि पहले ट्रेन-18 की बिजली खपत की प्रणाली काे दुरुस्त किया जाए और तब उत्पादन शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में ट्रेन-18 के 15 सेट और 2020-21 में 25 सेट बनाए जाएंगे।