परिक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। निकटवर्ती कालंद्री ग्राम पंचायत में कोरोना आपदा को अवसर में तब्दील करने के प्रधानमंत्री के आह्वान को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से पाल लिया गया।
ग्राम पंचायत में कोरोना लॉक डाउन के दौरान मनरेगा में हुए काम से स्थानीय कुशल मजदूरों का हक छीनकर ठेकेदारों और बाहरी मजदूरों को दे दिया गया। मुख्य कार्यकारी अधिकारी के निर्देश पर करवाये गए निरीक्षण और जांच रिपोर्ट में मनरेगा कानून के प्रावधानों के उल्लंघन में सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी का दोष सुनिश्चित की गई है।
-पिछले साल स्वीकृत हुआ था कार्य
कालंद्री पंचायत समिति में मनरेगा और एफएफसी में करली नाड़ी से बिजली घर की ओर से नाला निर्माण कार्य 17 अक्टूबर 2019 को स्वीकृत हुआ था। करीब ₹ 14.96 लाख के इस काम में ₹4.83 लाख मनरेगा से तथा ₹ 7.95 लाखएफएफसी से स्वीकृत हुए थे।
-जांच में सामने आई अनियमितता
देश जब कोरोना महामारी का लॉक डाउन झेल रहा था। उस समय अन्य राज्यों की तरह राजस्थान के भी प्रवासी मजदूर अपने रोजगार खोकर राजस्थान पहुंच रहे थे। उनके पेट पालने के लिए सरकार ने मनरेगा कार्य शुरू करवाये। जिससे बेरोजगार होकर राज्य में लौटे मजदूरों का जीवनयापन हो सके।
कालंद्री में नाले निर्माण का कार्य शुरू हुआ ताकि स्थानीय जरूरत मन्द कुशल और अकुशल श्रमिकों को रोजगार मिल सके। लेकिन, जांच रिपोर्ट में सामने आया कि कालंद्री ग्राम पंचायत ने इन मजदूरों के हितों के दरकिनार करके उक्त काम जेसीबी और बाहरी श्रमिकों से करवाया।
इसकी शिकायत मिलने पर जब 18 अगस्त 2020 को सिरोही पंचायत समिति के सहायक विकास अधिकारी ने मौका निरीक्षण किया तो वहाँ पर जेसीबी से काम करवाया जा रहा था। इतना ही नहीं मौके पर कालंद्री ग्राम पंचायत के बाहर के 5 मजदूर काम करते हुए नजर आए।
जांच रिपोर्ट में बताया गया कि मौके पर काम का मस्टरोल भी जारी नहीं था। इसके अलावा जो एक मस्टरोल मिला उसमें काम 14 अगस्त को समाप्त दिखाया गया था, जबकि 18 अगस्त को निरीक्षण के दौरान भी मौके पर काम हो रहा था। मनरेगा कानून के तहत दोनों ही काम गैरकानूनी हैं।
क्या है प्रावधान?
मनरेगा योजना ग्रामीण रोजगार के लिए एक माइलस्टोन योजना है। 2008 के रिसेशन के बाद कोविड लॉक डाउन में एक बार फिर ये गांव और देश की अर्थव्यवस्था का सम्बल बनकर उभरी। ये योजना भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू है। इसके मूल प्रावधान के अनुसार इसमें ग्रामीण जॉबकार्ड धारी अपनी ग्राम पंचायत क्षेत्र में रोजगार की मांग करता है।
तय समय सीमा में उसे रोजगार देना होता है। इसमें जिस ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्य स्वीकृत है उसके बाहर की किसी ग्राम पंचायत के मजदूर को रोजगार नहीं दिया जा सकता और न ही इसमें मानव द्वारा किये जा सकने वाले कार्य मशीन से करवाया जा सकता है। कालंद्री मन दोनों ही मूल कानून ताक ओर रख दिये गए।
इनका कहना….
इस प्रकरण में दो स्तर पर जांच की है। पहले मेरे अधीनस्थ अधिकारी से जांच करवाई थी। इसके बाद मैने जांच करके कल ही रिपोर्ट जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सौंपी है। जो एक्शन होगा उनके स्तर पर होगा।
रानू इंदिया
विकास अधिकारी, पंचायत समिति, सिरोही।