नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को भ्रष्टाचार के आरोप संबंधी मामले में शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से तगड़ा झटका लगा। न्यायालय ने इस मामले में अस्थाना के खिलाफ जांच जारी रखने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश नजमी वजीरी ने इस संबंध में अपने आदेश में कहा कि अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले की जांच जारी रहेगी। गौरतलब है कि विशेष निदेशक के खिलाफ सीबीआई के पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा ने भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने अस्थाना और उप अधीक्षक देवेंद्र कुमार की प्राथमिकी रद्द करने की याचिका भी खारिज कर दी। न्यायमूर्ति वजीरी ने अस्थाना और कुमार के खिलाफ जांच 10 सप्ताह में पूरी करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में जिस तरह के आरोप हैं उनकी जांच जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने वर्मा को गुरुवार को सीबीआई के निदेशक पद से हटाकर अग्निशमन विभाग का निदेशक नियुक्त किया था। वर्मा ने इसके बाद पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को फिर से सीबीआई के निदेशक पद पर बहाल किया था। वर्मा इसी माह सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
वर्मा और अस्थाना ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। विवाद बहुत बढ़ने पर दोनों अधिकारियों को जबरन लंबी छुट्टी पर भेज दिया था। वर्मा ने सरकार के छुट्टी पर भेजने के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और शीर्ष न्यायालय ने आठ जनवरी को उन्हें निदेशक पद पर बहाल कर दिया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति को यह मामला सौंपते हुए एक सप्ताह के भीतर उन पर लगे आरोपों पर फैसले का निर्देश दिया था।
मोदी की अध्यक्षता वाली इस समिति की गुरुवार को हुई बैठक में वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाकर अग्निशमन विभाग का निदेशक बनाने का फैसला किया गया। तीन सदस्यों वाली समिति में लोकसभा में सबसे बड़े दल कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाए जाने के विरोध में मत दिया जबकि मोदी और न्यायमूर्ति एके सिकरी ने वर्मा को हटाने के पक्ष में अपना मत दिया।
वर्मा ने अग्निशमन विभाग के निदेशक पद का प्रभार लेने से इन्कार करते हुए शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। वह अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर से 1979 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे। उन्हें एक फरवरी, 2017 को दो वर्ष के लिए सीबीआई का निदेशक बनाया गया था। सीबीआई के निदेशक पद से हटाए जाने वाले वह पहले अधिकारी हैं।