नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के मामले में कई राज्यों में अपराधिक मुकदमों का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी की निलंबित नेता नूपुर शर्मा को बुधवार राहत देते हुए मुकदमों को दिल्ली स्थानांतरित करने की उनकी अर्जी बुधवार को स्वीकार कर ली।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जेबी. पारदीवाला की पीठ ने नूपुर की याचिका मंजूर करते हुए उसके खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों (इस विवाद से संबंधित भविष्य में होने वाले सभी प्राथमिकी शामिल) को एक जगह सम्मिलित कर उसकी जांच दिल्ली पुलिस को स्थानांतरित करने तथा जांच पूरी होने तक नूपुर पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया।
पीठ ने यह स्पष्ट किया कि भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) द्वारा की जाएगी। इस मामले में यदि जरूरत पड़े तो दिल्ली पुलिस अपनी अन्य शाखाओं की मदद ले सकती है।
पीठ ने याचिकाकर्ता को प्राथमिकी रद्द करने या अन्य राहत की मांग संबंधी याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर करने की अनुमति प्रदान की। पीठ ने पैगंबर मोहम्मद विवाद से संबंधित मुकदमों के मामले में नूपुर की नयी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इस मामले की अदालत की देखरेख में एक विशेष जांच दल गठित कर उससे से जांच कराने की याचिका खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने इससे पहले 19 जुलाई को ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तारीख मुकर्रर करते हुए नूपुर पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश संबंधित राज्य सरकारों/पक्षों को दिया था।
शीर्ष न्यायालय ने नूपुर की उस याचिका पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक तथा अन्य राज्यों को नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्होंने उन राज्यों में (पैगंबर मोहम्मद पर की गई विवादास्पद टिप्पणियों से संबंधित) अपने खिलाफ दर्ज अपराधिक मुकदमों को रद्द करने या उन्हें दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने एक जुलाई को सख्त टिप्पणियों के साथ उनकी उस याचिका को खारिज कर दी थी, जिसमें उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज मुकदमों को रद्द करने या उन्हें दिल्ली स्थानांतरित करने की गुहार लगाई गई थी।
नूपुर ने एक निजी टीवी चैनल पर चर्चा के दौरान कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। इसके बाद उनके खिलाफ दर्ज विभिन्न राज्यों में एक के बाद एक नौ प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं।
उन्होंने अदालत में पुनः याचिका दायर कर सभी मुकदमों को रद्द करने या दिल्ली स्थानांतरित करने तथा इस मामले में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार अदालत से लगाई थी।
आरोपी नूपुर ने अपनी नई याचिका में तर्क दिया था कि शीर्ष अदालत द्वारा उसके खिलाफ पहले की कड़ी टिप्पणियों के बाद उसे नए सिरे उन्हें धमकियां दी गईं। बलात्कार और जान से मारने तक की धमकियों का उन्हें सामना करना पड़ा।
शीर्ष अदालत की इसी पीठ ने पिछली सुनवाई की विभिन्न तारीखों पर भाजपा नेता नूपुर को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि उनकी अनुचित टिप्पणियों से देश का माहौल खराब हुआ।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि देश में जो हो रहा है (पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणियों के बाद कई जगहों पर दंगे और हिंसक झड़पें हुई थीं) उसके लिए वह अकेले ही जिम्मेदार है। पीठ ने कहा था कि उनकी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियों से पता चलता है कि वह जिद्दी और घमंडी हैं।
उच्चतम न्यायालय ने तब उसकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्हें अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी थी। नूपुर को मई में एक टीवी पर ज्ञानवापी विवाद पर चर्चा के दौरान उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद विवाद बढ़ने के बाद भाजपा से निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं और देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
नूपुर पर दिल्ली के अलावा मुंबई और कोलकाता सहित विभिन्न स्थानों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। शीर्ष अदालती आदेश के बाद इन जगहों पर दर्ज सभी मुकदमों को एक जगह कर दिल्ली में अदालती कार्रवाई की जाएगी।