चित्तौड़गढ़। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में शुक्रवार को मृत एक कोरोना मरीज की मौत के बाद दाह संस्कार पर विवाद उत्पन्न हो गया और प्रशासन आधी रात तक उसके शव को इधर से उधर लेकर घूमता रहा।
जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम के एक 80 वर्षीय व्यक्ति की शुक्रवार शाम कोरोना संक्रमण के कारण जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो जाने के बाद प्रशासन उसके शव को दाह संस्कार के लिए रात आठ बजे शहर के कुम्भानगर मोक्ष धाम लेकर आया लेकिन यहां पर क्षेत्र वासियों ने दाह संस्कार का विरोध शुरू कर दिया। देखते ही देखते वहां सैकडों की भीड़ एकत्र हो गई जिससे टकराव के हालात उत्पन्न हो गए।
सूचना मिलने पर अतिरिक्त कलेक्टर मुकेश कलाल, उपखण्ड अधिकारी अंशुल आमेरिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरितासिंह आदि मौके पर पहुंचे और लोगों से समझाईश की लेकिन बात नहीं बनी। करीब दो घंटे तक की जद्दोजहद के बाद भी लोग विरोध पर ही अड़े रहे और अंततः रात दस बजे प्रशासन शव को लेकर एराल गांव पहुंचा जहां पर कर्फ्यू के बीच आधी रात को उसका दाह संस्कार कर दिया गया।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर कलाल ने बताया कि लोगों के मन में जीते जी और मरने के बाद भी कोरोना को लेकर कई भ्रांतिया है जिनमें एक यह भी है कि दाह संस्कार के धुएं से भी संक्रमण फैलता है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के दाह संस्कार से वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाता है और धुंए से कोई संक्रमण नहीं फैलता है।