अजमेर। राजस्थान के अजमेर स्थित प्रदेश के राजस्व मंडल मुख्यालय के विघटन की बात का अजमेर में विरोध होना शुरू हो गया है।
राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव निरंजन आर्य द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ली गई गत नौ जून की बैठक के बाद इस मुद्दे को व्यापक हवा लगी है। अजमेर मुख्यालय स्थित राजस्व मंडल को एकबार फिर दो हिस्सों में बांटने की बात की जा रही है जिसके तहत प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्यों को अलग करते हुए इसके आयुक्तालय को जयपुर स्थापित करने की बात हो रही है।
इसके बाद से शहर के कांग्रेस एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व अभिभाषक संघ, कर्मचारी महासंघ आदि ने विरोध करना शुरू कर दिया है।
अजमेर जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व सचिव राजेश टंडन ने तो एक बयान में कहा कि कहा कि 1956 में विलय के बाद अजमेर केवल अजमेर बनकर रह गया और समझौते में राजस्व मंडल, राजस्थान लोकसेवा आयोग, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, आयुर्वेद निदेशालय व पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग जैसे राज्य स्तरीय कार्यालय ही हाथ लगे और समय समय पर इनको विघटित कर जयपुर या अन्य स्थानों पर भेजा जा रहा है जिससे अजमेर का महत्व कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राव कमीशन की रिपोर्ट देखने की जरूरत है।
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि राजस्व मंडल का विखंडन किया गया तो महासंघ उग्र आंदोलन करेगा। अजमेर विधायक वासुदेव देवनानी ने सरकार की ओर से प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था के नाम पर नये आयुक्तालय के प्रस्तावित गठन को सरकार की नियत में खोट बताया।
बीसलपुर बांध के पानी को भी अजमेर जिले की जनता से छीनकर अन्य स्थानों पर देने तो उन्होंने यहां के जनता के अधिकारों पर कुठाराघात बताते हुए पानी के हक को पुनः अजमेर को दिए जाने की बात कही।
राजस्व अभिभाषक संघ के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा ने भी मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, मुख्य सचिव को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य भर में आंदोलन की चेतावनी दी है तथा मंडल रजिस्ट्रार बीएल मीणा को पत्र लिखकर नौ जून को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक का विवरण उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि इस मुद्दे पर रेवेन्यू बार में सदस्यों से चर्चा की जा सके।