नई दिल्ली। भारतीय विधिज्ञ परिषद ने कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के प्रकोप से बचने के लिए देशभर में हुए लॉकडाउन के बाद केंद्र एवं राज्य सरकारों से युवा वकीलों के लिए प्रतिमाह न्यूनतम 20 हजार रुपए देने की अपील की है।
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस बारे में एक पत्र लिखा है तथा युवा वकीलों को प्रति माह न्यूनतम 20 हजार रुपए निर्वाह भत्ता देने का आग्रह किया है।
पत्र में कहा गया है कि पूरी दुनिया और पूरा देश सबसे कठिन समय से गुजर रहा है जिसे हमने अपने जीवनकाल में कोरोना वायरस के खतरे के कारण देखा है। मिश्रा ने कहा कि आवश्यक सेवाओं को छोड़कर, सभी व्यवसाय लॉकडाउन मोड में चले गए हैं। अदालतों में भी केवल अति आवश्यक मामलों की सुनवाई हो रही है।
पत्र में कहा गया है कि वकीलों का केवल एक न्यूनतम अनुपात (10 प्रतिशत) इस संकट के समय में बिना किसी कमाई के जीवित रहने और निर्वाह करने की स्थिति में कहा जा सकता है। बाकी लोगों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है और उनका परिवार वित्तीय संकटों का सामना करने के जोखिम से गुजर रहे हैं।
बीसीआई के अनुसार ऐसे संकट के समय में, जब अदालतें प्रतिबंधित तरीके से काम कर रही हैं, और एहतियात और डर के कारण अदालतों में क्लाइंट और भीड़ नहीं हैं, काम और कमाई के अवसर बंद हो गए हैं, सरकार को युवा वकीलों को 20 हजार रुपए प्रतिमाह निर्वाह भत्ता देने पर विचार करना चाहिए।