पुड्डुचेरी। पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने सोमवार को कांग्रेस-द्रमुक सरकार के विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया। नारायणसामी ने विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव गिरने के बाद उप राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन से मुलाकात की और अपने मंत्रिपरिषद के साथ इस्तीफा दे दिया।
यह अब उप राज्यपाल पर निर्भर है कि अगले तीन महीनों के लिए सरकार बनाने के लिए विपक्ष को आमंत्रित करें या केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करें। कांग्रेस नीत सरकार का कार्यकाल आठ जून को समाप्त हो रहा है। बहुमत परीक्षण के दौरान सभी सदस्य (सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों) सदन में मौजूद थे।
इससे पहले नारायणसामी ने विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने के बाद लगभग एक घंटे तक सदन को संबोधित किया और उसके बाद सभी सदस्यों के साथ बहिर्गमन कर गए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष शिवकोलोंथु ने घोषणा की कि नारायणसामी की ओर से पेश विश्वास प्रस्ताव गिर गया है और सरकार ने बहुमत खो दिया है। इसके बाद सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
नारायणसामी ने विश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार और पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी द्वारा कथित तौर पर अड़ंगे लगाए जाने के बावजूद कई योजनाओं को लागू किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की विपक्ष की साजिशों के बावजूद वह पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पुड्डुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में है और इसके लिए विधानसभा में कई प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे गए तथा उन्होंने भी व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की लेकिन भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार का रुख पुड्डुचेरी को राज्य का दर्जा नहीं देने का था।
उन्होंने कहा कि इस इरादे के साथ पुड्डुचेरी को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की गई कि केंद्र की ओर से नियुक्त उप राज्यपाल को लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार की शक्तियां हासिल कर यहां शासन नहीं कर सके। नारायणसामी ने वित्त आयोग में पुड्डुचेरी को शामिल नहीं करने, केंद्र द्वारा जीएसटी मुआवजा प्रदान करने में विफलता, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए खर्च की गई राशि की प्रतिपूर्ति आदि के बारे में भी बताया।
उन्होंने प्रदेश में उनकी सरकार गिराने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और गोवा में उन्होंने जो किया, वही अब पुड्डुचेरी में किया जा रहा है। पार्टी ने विधायकों के इस्तीफे पर नारायणसामी ने कहा कि उन्हें संगठन के प्रति वफादार होना चाहिए था लेकिन मजबूरी और खतरे के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसे ‘लोकतंत्र की वेश्यावृत्ति’ करार दिया।
नारायणसामी ने अपनी सरकार का कामकाज बाधित करने में विपक्ष की भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि जहां तक सरकार का सवाल है, वह लोगों की सेवा करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और वे निश्चित रूप से आगामी चुनाव में विपक्ष को उचित जवाब देंगे।
मुख्यमंत्री के भाषण के दौरान हस्तक्षेप करते हुए अन्ना द्रमुक के सदस्य ए अनबाझगन ने कहा कि नारायणसामी सदन में इस तरह बोल रहे हैं जैसे कि वह किसी ‘जनसभा’ को संबोधित कर रहे हैं। सत्ता पक्ष ने इसका विरोध किया जिसके कारण सदन में जमकर शोर-शराबा हुआ।
मुख्यमंत्री द्वारा अपना संबोधन समाप्त करने और धन्यवाद ज्ञापन करने के बाद सरकारी सचेतक आरकेआर अनंतरमन ने पूछा कि क्या मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार है। वह चाहते थे कि अध्यक्ष इस पर स्पष्टीकरण दें जिसे लेकर सदन में गरमागरम बहस हुई और पूरे विपक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट फैसला दिया है कि मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार प्राप्त है।
शोर-शराबे के बीच मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सत्तापक्ष के लोग सदन से बहिर्गमन कर गए। अध्यक्ष की ओर से उन्हें सदन में ही रहने के लिए कहे जाने के बावजूद सत्ता पक्ष के विधायक बाहर निकल गए जिसके बाद उन्होंने (अध्यक्ष ने) घोषणा की कि विश्वास प्रस्ताव गिर गया।
गौरतलब है कि उप राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी को 22 फरवरी यानी सोमवार को विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है। विपक्ष के नेता एन रंगासामी के साथ अन्नाद्रमुक विधायक दल के नेता ए अनबाझगन और वी सामीनाथन (भाजपा के मनोनीत सदस्य) ने 18 फरवरी को उप राज्यपाल से मुलाकात कर मांग की थी कि प्रदेश सरकार अल्पमत में आ गई है और अपनी वैधता खो दी है लिहाजा उसे बहुमत साबित करने का निर्देश दिया जाए।
कांग्रेस पार्टी के पांच विधायकों के इस्तीफे और एक को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद पार्टी के पास केवल नौ विधायक बच गए हैं और एक निर्दलीय सदस्य का समर्थन हासिल है। विपक्ष में एआईएनआरसी को 7, अन्नाद्रमुक को चार और भाजपा के 3 विधायक (मनोनीत सदस्य) हैं।
पुड्डुचेरी में विधानसभा की कुल 33 सीटें हैं, जिनमें से 30 पर चुनाव होता है, जबकि तीन मनोनीत सदस्य होते हैं। वर्तमान में छह सीटें खाली हैं। कांग्रेस ने 2016 के विधानसभा चुनावों में 15 सीटें जीती थीं।