सबगुरु न्यूज।
कल मेरे बदमाश पड़ोसी ने मेरे दो दांत तोड़ दिए। मैंने बहुत कड़े शब्दों में उसकी निंदा की। और मेरे बाकी सारे पड़ोसियों ने भी कड़े शब्दों में उसकी निंदा की।
हमारी निंदा के कारण उस पड़ोसी के चार दाँत टूट गए।
ये है निंदा की पावर।
मजाक की बात नही है। पर आजकल देश की स्तिथियाँ ही ऐसी है। सी आर पी एफ के काफिले पर आतंकवादी हमले की जिस तरह से निंदा हो रही है उस हिसाब से तो पाकिस्तान को खत्म हो जाना चाहिए। हमारे देश मे मुद्दा कोई भी है राजनीति गरमा ही जाती है।हर कोई अपनी रोटियां सेंकने की फिराक में रहता है। 5 साल हो गए 56 इंच के सीने को देश सौपे हुए। निंदा करने के सिवा कुछ नही किया। कड़े कदम उठाने के वादे हुए लेकिन एक कदम उठाना तो दूर पैर जगह से हिले भी नहीं।
सरकार , विपक्ष ,बड़ा -छोटा हर नेता, हर न्यूज चैनल निंदा में व्यस्त है। विपक्ष सरकार को घेरने की योजना बना रहा है। सरकार विपक्ष को करारा जवाब देने की कोशिश में।
मीडिया ज्यादा से ज्यादा शहीदों के परिवारों के आँसुओ पर सबसे ज्यादा मार्मिक प्रोग्राम बनाने में लगा है। पास पड़ोसी रिश्तेदार जो हाथ आ रहा है उस से शहीद के बारे में पूछा जा रहा है।
सरकार शहीद के परिवारों को पैसे देगी। थोड़े दिन के बाद हम सब भूल जाएंगे।लेकिन जो लोग चले गए इस जहां से क्या उनके परिवार इस सदमे से उबर पायेगे।
सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो ।प्रधान मंत्री चाहे कोई भी हो ।बस बहुत हुआ अब। सेना को हथियार तो दे दिए जाते है।पर उन्हें चलाने की इजाज़त नही दी जाती। ये तो वही बात हुई की शेर को पाल लिया लेकिन जंजीरों में जकड़ लिया। अब वो शेर कितना ही दहाड़े कोई भी राह चलता उसे पत्थर मार के चला जायेगा। अगर यही शेर जंजीरों में जकड़ा न हो तो किसी की क्या मजाल जो आंख उठा के भी देख ले।
कश्मीर में यही हाल है।सेना चाहिए भी लेकिन सेना को अधिकार नही दिए। तो ऐसे में इन सेनिको की बलि लेने का भी क्या हक बनता है। हमारे सेनाओ के प्रमुख अक्सर कहते है थोड़ा सा अधिकार दे दो हम आतंकवाद को ही जड़ से मिटा देंगे। पर ऐसा किया तो चुनावो में मुद्दा कहा से आएगा।
जनता तो वैसे ही बावली है।अमित शाह ने कल रैली कर ली तो लानत।की इतनी बड़ी घटना हो गई और चुनाव प्रचार जरूरी है। प्रियंका गांन्धी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करदी तो कहा गया चोचले है।
प्रधान मंत्री जी देश देख रहा है आपकी तरफ। लोग मसीहा मानते है आपको ।तो अब निंदा ना करो।वो करो जिसके दावे करके आप सत्ता में आये थे। प्रचंड बहुमत के साथ जनता ने आप पर विश्वास किया था।उस विश्वास की कुछ तो लाज रखो। निंदा न करो मोदी जी। कड़े कदम उठाओ तो कही रखो भी। कुछ तो ऐसा करो कि शहीदों की आत्माओं को चैन मिले। कोई माँ अपने बेटे को सेना में भेजने से पहले डरे नही। देश जवाब मांग रहा है। या तो पड़ोसी को औकात दिखाओ या सेना के हाथ खोल दो।
-वर्षा मिश्रा
सिरोही