नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर चीन द्वारा ‘वीटो’ वापस लेने के लिए उसके साथ किसी प्रकार का मोलभाव नहीं किया गया है और संयुक्त राष्ट्र के इस कदम के बाद पाकिस्तान को मसूद पर कार्रवाई करनी ही होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने आज यहां मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि हम आतंकवाद और देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर किसी भी देश के साथ मोलभाव नहीं करते।
उसने पूछा गया था कि संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में शामिल करते हुए आधिकारिक दस्तावेज में उसके जिन कारनामों का उल्लेख किया है उसमें पुलवामा हमले का जिक्र नहीं है। क्या चीन के साथ यही समझौता हुआ था कि वह ‘वीटो’ वापस लेगा और बदले में भारत भी कुछ कदम पीछे हटाएगा?
प्रवक्ता ने कहा कि मसूद अजहर को किसी एक गतिविधि के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित नहीं किया गया है। आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार वह जैश-ए-मोहम्मद की आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराता रहा है और उनकी योजना बनाने तथा उन्हें अंजाम देने से जुड़ा रहा है। इसमें कमोबेश जैश की सारी गतिविधियां आ जाती हैं।
उन्होंने बताया कि इस साल जून में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल की आम बैठक होनी है। उससे पहले पाकिस्तान को मसूद अजहर पर कार्रवाई करनी ही होगी। संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान समेत हर देश को उसकी संपत्ति जब्त करनी होगी, उसके हथियार खरीदने और विदेश यात्रा करने पर प्रतिबंध होगा।