लंदन। पंजाब नेशनल बैंक को करीब 13 हजार करोड़ रुपए की चपत लगाने वाले भारत के भगोड़े हीरा कारोबारी को बुधवार को लंदन के उच्च न्यायालय से भी उस समय तगड़ा झटका लगा जब उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया।
न्यायाधीश इंग्रिड सिमलर ने भारत की तरफ से पैरवी कर रहे ब्रिटेन की अभियोजन सेवा के वकीलों और नीरव के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज की कि इस बात के प्रमाण हैं कि नीरव आत्मसमर्पण नहीं करेगा।
न्यायालय ने कहा कि उसके पास ऐसे प्रमाण हैं कि हीरा कारोबारी जमानत के बाद जांच को प्रभावित कर सकता है। न्यायाधीश ने कहा कि हमारे पास ठोस प्रमाण हैं कि जमानत की अर्जी देने वाला व्यक्ति और वे जो उसके पक्ष में हैं जांच और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। हस्तक्षेप और रुकावट पैदा की जा सकती है।
नीरव की जमानत याचिका चौथी बार खारिज हुई है। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय से पहले वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत ने भी इसे ही आधार बताते हुए नीरव की जमानत याचिका तीन बार खारिज की थी। वेस्टमिंस्टर अदालत से तीसरी बार जमानत याचिका खारिज होने के बाद नीरव ने 31 मई को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
पीएनबी के साथ करीब 13 हजार करोड़ रुपए की घोखाधड़ी करने और धनशोधन के मामले में नीरव भारत में वांछित है। ब्रिटेन से प्रत्यर्पित कर उसे भारत लाने के लिए अदालत में मामला चल रहा है।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार 11 जून को नीरव की जमानत याचिका पर सुनवाई कर फैसला आज सुनाने के लिए कहा था। नीरव को 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह पिछले 86 दिन से लंदन की वांड्सवर्थ जेल में बंद है।
नीरव की तीन बार जमानत याचिका खारिज करने वाली मजिस्ट्रेटी अदालत की राय थी कि भारत में कानूनी रुप से भगोड़े घोषित हीरा कारोबारी को जमानत देने में यह बड़ा जोखिम है कि वह ब्रिटेन से भाग सकता है और कानून के समक्ष समर्पण नहीं करेगा।