चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मानहानि के मुकदमे में अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से माफी मांगने के कारण न सिर्फ पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और सह अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया, सहयोगी लोक इंसाफ पार्टी ने दामन छोड़ दिया बल्कि पार्टी में ऊपर से नीचे तक बगावत के स्वर फूटने लगे और इसके दोफाड़ होने की आशंका पैदा हो गई है।
केजरीवाल के माफीनामे के बाद पार्टी के पंजाब अध्यक्ष एवं सांसद भगवंत मान के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के सह अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया आैर गुरुवार को बनी 21 सदस्यीय कमेटी भी भंग कर दी गई।
इसके अलावा पार्टी विधायक दल की शुक्रवार को यहां दो बैठकें हुईं लेकिन उनमें अागे की रणनीति को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका। बैठक में मौजूद विधायकों ने केजरीवाल के माफीनामे को लेकर असहमति जताते हुए इसकी निंदा की गई। इसके अलावा विधायकों के पार्टी छोड़ने या बने रहने को लेकर भी चर्चा हुई लेकिन अंतिम फैसले पर अगली बैठक में विचार किया जायेगा।
बैठक के बाद शाम को पत्रकारों से बातचीत में सभी विधायकों ने माफीनामे पर सभी ने किनारा कर लिया। खेहरा ने माफीनामे को दुखदायी बताते हुए कहा कि केजरीवाल ने पार्टी की पंजाब इकाई से इस विषय पर विचार विमर्श किए बगैर आत्मसमर्पण कर दिया। इसको लेकर नेताओं के साथ कार्यकर्ता नाराज हैं। सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से केजरीवाल के इस फैसले की निंदा की है और उनका कहना है कि चाहे जो भी हो उन्हें माफी नहीं मांगनी चाहिए थी।
उधर आप से निलंबित पटियाला के सांसद डॉ धर्मवीर गांधी ने माफीनामे को दुखद बताते हुए कहा कि नशे के आरोप में घिरे मजीठिया से माफी मांगने के बजाय जेल चले जाते तो अच्छा था। गांधी ने कहा कि केजरीवाल ने पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
पार्टी के पूर्व प्रदेश संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर ने कहा कि केजरीवाल ने पंजाब में पार्टी का नुकसान किया है जबकि लोगों को आप से उम्मीदें थीं और केजरीवाल की ईमानदारी छवि ने लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये प्रेरित किया था तभी तो पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की तेरह सीटों में से चार पर आप जीती थी और कई विधानसभा क्षेत्रों में लीड ली थी। उन्होंने कहा लेकिन इस माफीनामे से लोगों का भरोसा टूट गया है।
इस बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुये कहा कि पंजाब से आप पार्टी का अब खात्मा हो गया है और अब पार्टी का कोई वजूद नहीं रहा। उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री ने मजीठिया को नशे के मामले में बदनाम करने की अपनी गलती का अहसास होते ही माफी मांगकर अपनी भूल सुधार ली। बादल ने कहा कि यह पार्टी लोगों को गुमराह करके सत्ता में अाना चाहती थी लेकिन चुनावों से पहले ही उसकी पोल खुल गयी और वह बीस सीटों पर सिमट कर रह गई।