अजमेर। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने कहा कि आगामी कार्तिक पूर्णिमा आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले को चाईल्ड फ्रेंडली (बालमैत्री पूर्ण) रूप से मनाया जाएगा। उन्होंने इस संबंध में पुष्कर तथा अजमेर में अधिकारियों की बैठक ली।
मनन चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान के पहले बालमैत्री पूर्ण मेले के लिए पुष्कर के मेले को चुना गया है। राजस्थान राज्य बाल सरंक्षण आयोग इस दिशा में पूरे प्रयास कर रहा है। बालमैत्री पूर्ण मेला अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। इस मेले में बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। किसी भी बच्चे को अपने अभिभावकों के साथ रहने की व्यवस्था की जाएगी। अभिभावकों से बिछड़ने वाले बच्चों को तुरन्त सही जगह पहुंचाने की माकूल व्यवस्था अंजाम दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस मेले में ये सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी प्रकार के बच्चे बाल श्रम नहीं करें। बाल श्रम को रोकने के लिए आयोग मेला अवधि के दौरान विशेष प्रयास करेगा। बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने वालों पर भी प्रभावी कार्यवाही की जाएगी। मेले को बाल श्रम मुक्त तथा बाल भिक्षा वृत्ति मुक्त बनाकर एक मिसाल कायम की जाएगी। मेले में बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक करवाने के लिए दृश्य एवं श्रव्य माध्यमों का उपयोग किया जाएगा।
उन्होंने विभागीय योजनाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि जिले के प्रत्येक पात्र बच्चे को पालनहार योजना का लाभ मिलना चाहिए। राजस्थान में बाल विवाह की दर में उल्लेखनीय कमी आयी है। यह आयोग के प्रयासों का परिणाम है। आयोग बाल विवाह मुक्त राजस्थान का निर्माण करने के लिए कृतसंकल्पित है। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में बाल कल्याण ईकाई का गठन किया जाना चाहिए। इससे बालकों के अधिकारों का संरक्षण तथा समस्या निवारण आसानी से हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि जिले में अपंजीकृत संस्थाओं द्वारा बच्चों को रखने के संबंध में आयोग द्वारा रिपोर्ट मांगी गई है। प्राथमिक स्तर पर सघन निरीक्षण करके ऎसे स्थानों का चिन्हिकरण कर पंजीकृत अथवा बंद करने की कार्यवाही की जाएगी। जिले में मानव तस्करी विरोधी ईकाई के द्वारा चलाए गए विभिन्न अभियानों में मुक्त कराए गए बच्चों के पुर्नवास का फोलोअप किया जाएगा। इन बच्चों का उचित पुर्नवास आयेग के द्वारा सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में देश के अन्य भागों से आए हुए बच्चों की पुनः घर वापसी करने के लिए आयोग प्रयासरत है। साथ ही राज्य के बच्चे जो अन्य स्थानों पर हैं। उन्हें भी पुनः घर पहुंचाया जाएगा। इस संबंध में स्थानीय बाल कल्याण समिति के द्वारा प्रमाणित होने पर ही बच्चों को अभिभावकों के सुपूर्द किया जाएगा। बच्चों के बाल अधिकारों के विरूद्ध कृत्य करने वालों के विरूद्ध आयोग द्वारा कार्यवाही की जाएगी। नसीराबाद तथा भीलवाड़ा की गंडावर ग्राम पंचायत में बच्चों के बीमार होने की घटनाओं की पुर्नावृति रोकने के लिए आयोग सख्त कदम उठा रहा है।
इस अवसर पर राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य, पुष्कर उपखण्ड अधिकारी एवं बाल अधिकार संरक्षण से जुड़े विभागाें तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।