नयी दिल्ली । तमिलनाडु में कावेरी डेल्टा के किसानों को लेकर अन्नाद्रमुक ने बुधवार राज्यसभा में भारी हंगामा किया जिसके प्रश्नकाल आैर शून्यकाल नहीं हो सका और सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गयी।
एक बार के स्थगन के बाद सभापति एम. वेंकैया नायडु ने जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू की तो अन्नाद्रमुक के सदस्य अपने नेता के. नवनीत कृष्णन के नेतृत्व में तख्ती लेकर आसन के समक्ष पहुंच गये और नारेबाजी करने लगे। इसके बाद नायडु ने कहा कि सदन में बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। सदस्यों को हंगामा कर समय और धन बरबाद नहीं करना चाहिए। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा और सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गयी।
इससे पहले सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर इसी मुद्दे पर अन्नाद्रमुक के अलावा द्रमुक के सदस्य भी अासन के समक्ष आ गये । माकपा के सदस्य भी केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद करने की मांग को लेकर अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए। सभी सदस्यों ने नारेबाजी की जिसके कारण सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पडी ।
नायडु ने सदस्यों से शांत होने की अपील करते हुए कहा कि सदन किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। सदन में आम जनता का काम होना चाहिए। यही लोकतंत्र के अनुरुप है। उन्होेंने कहा कि अगर सदस्य सदन नहीं चलाना चाहते तो वह कार्यवाही स्थगित कर देते हैं। अासन के समक्ष नारेबाजी कर रहे सदस्यों पर सभापति की अपील का कोई असर नहीं हुआ और उनकी नारेबाजी जारी रही।
शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मेघालय की तूरा संसदीय सीट के सदस्य कोनराड संगमा के त्यागपत्र की जानकारी दी और फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जीसैट-6 एवं अन्य दो उपग्रहों के प्रक्षेपण की सूचना देने के साथ संगठन के वैज्ञानिकों को सदन की ओर से बधाई दी। उन्होंने राज्यसभा में खेल कोटे से मनोनीत सदस्य मैरीकॉम के विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर उनको भी बधाई दी।
अध्यक्ष ने इसके बाद सरकारी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये। जल संसाधन राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बांध सुरक्षा विधेयक, 2018 पेश किया जिसका बीजू जनता दल के भर्तृहरि मेहताब ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2010 के विधेयक में जुड़ी कुछ पंक्तियों को हटा दिया है जिससे इस विषय पर विधेयक पारित करने का संसद का अधिकार नहीं रह गया है। यह राज्यों के विधानमंडल का अधिकार है।
इस पर मेघवाल ने कहा कि 15वीं लोकसभा में लाये गये विधेयक को स्थायी समिति को भेजा गया था। स्थायी समिति की सिफारिश के आधार पर तब्दीली करके विधेयक को पुन: लाया गया है। इसे संविधान के अनुच्छेद 252 एवं सातवीं अनुसूची के प्रावधान के अंतर्गत संसद में लाया सकता है। सदन ने बाद में ध्वनिमत से उसे स्वीकार कर लिया।
अध्यक्ष ने इसके बाद सदस्यों से नियम 377 के अंतर्गत विषयों को सदन के पटल पर लिख कर पेश करने को कहा। शिरोमणि अकाली दल के प्रेमसिंह चंदूमाजरा ने सिखों के नौवें गुरू तेग बहादुर के बलिदान दिवस पर एक वक्तव्य दिया और सरकार से माँग की कि इस दिन को बलिदान दिवस घोषित करके सार्वजनिक अवकाश दिया जाना चाहिए।
इस बीच शोर थमता नहीं देख श्रीमती महाजन ने विपक्षी सदस्यों से पूछा कि क्या वह सदन नहीं चलने देना चाहते हैं? इसके बाद भी शोर-शराबा जारी रहने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
इससे पहले सदन में प्रश्नकाल भी नहीं हो सका तथा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही तेदेपा तथा शिवसेना के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के करीब आने की कोशिश की लेकिन अध्यक्ष ने उन्हें सूचित किया कि दो नये सदस्यों को शपथ दिलानी है। कर्नाटक के बेल्लारी से निर्वाचित भाजपा सदस्य बी.एस. येदुरप्पा तथा कर्नाटक के ही मांड्या से निर्वाचित जनता दल (सेकुलर) के सदस्य एल.आर. शिवराम गौड़ा के शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने सदन को 11 पूर्व सदस्यों के निधन के बारे में सूचित किया। सदन ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू करने की कोशिश की, लेकिन इस बीच कांग्रेस, तेदेपा, अन्नाद्रमुक और शिवसेना के सदस्य अपनी-अपनी माँगों की तख्तियाँ लिये सदन के बीचों-बीच आ गये। उनकी नारेबाजी के बीच श्रीमती महाजन ने 11:17 बजे सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।