नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरूवार को कहा कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यार्थी यदि सामान्य श्रेणी में चयनित अंतिम उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक हासिल करते है तो वह सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित सीटों के हकदार होंगे।
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अंक और स्थिति के आधार पर आरक्षित श्रेणियों के उम्मीदवार भी सामान्य श्रेणी की सीटों के लिए दावा कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने अपना फैसला देते हुए इंद्रा साहनी (1992), सौरव यादव (2021) और साधना सिंह डांगी (2022) के मामलों से संबंधित फैसलों पर गौर किया, जिसमें यह कहा गया है कि यदि आरक्षित श्रेणियों से संबंधित उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों से अधिक अंक लाते हैं तो उसे आरक्षित श्रेणी में नहीं गिना जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ भारत संचार निगम लिमिटेड की अपील को खारिज करते हुए कहा कि उसने उच्च अंक प्राप्त करने के बावजूद आरक्षित श्रेणी के दो उम्मीदवारों की उसी श्रेणी में नियुक्ति पर विचार किया, जिससे उस श्रेणी के दो अन्य उम्मीदवारों को नुकसान हुआ। यदि इन दो उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी में नियुक्त किया जाता तो आरक्षित श्रेणी के और दो उम्मीदवारों को मौका मिल सकता था।
उच्च न्यायालय के फैसले में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल को तकनीकी सहायक के पद के लिए एक ओबीसी अभ्यार्थी की उम्मीदवारी पर विचार करने का निर्देश दिया गया था क्योंकि दो आरक्षित उम्मीदवारों को सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से अधिक अंक हासिल करने के बावजूद ओबीसी श्रेणी में रखा गया था।
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन और अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने तर्क देते हुए कहा कि सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों में अंतिम उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी के कोटे के तहत समायोजित करना और उन्हें सामान्य श्रेणी में माना जाना आवश्यक था।
सर्वोच्च अदालत ने बीएसएनएल को आदेश दिया कि वह सामान्य वर्ग के दो उम्मीदवारों को हटाए बिना सामान्य वर्ग की श्रेणी में दो आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों आलोक कुमार यादव और अलका सैनी को (सामान्य वर्ग के तहत) समायोजित करे। पीठ ने यह भी आदेश दिया कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के समान वरिष्ठता के हकदार होंगे।