नयी दिल्ली | पश्चिम बंगाल और राजस्थान समेत चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई अन्य हस्तियों ने राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता गुरुदेव रवींन्द्रनाथ टैगोर की 78 वीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर राष्ट्र कवि को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा,“रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि।”
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरुदेव की कविता की कुछ पंक्तियां लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट किया, “महान कवि एवं साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि।”
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने श्रद्धांजलि संदेश में कहा, “ गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन। साहित्य में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।”
पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्विटर पर कहा, “नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि पर उन्हें मेरा नमन। साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने ट्वीट किया, “भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता एवं भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को आज उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि।”
कांग्रेस ने ट्वीट करके राष्ट्र कवि को याद किया। उसने कहा, “हम नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हैं। उन्होंने न केवल साहित्य, संगीत और कला को बल्कि दर्शन शास्त्र को भी समृद्ध बनाया। देश भक्ति और राष्ट्रवाद पर पर उनका लेखन विशेष तौर पर आज के समय में प्रासंगिक है।”अखिल भारतीय महिला कांग्रेस ने ट्वीट किया, “हमें रवींद्रनाथ टैगोर से सीखने की जरूरत है। वह आज भी प्रासंगिक हैं।”
कोलकाता में जन्में टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और साहित्य को अप्रतिम योगदान दिया है। उन्होंने कई कविताएं, गीत, निबंध, यात्रा वृतांत ,नाटक ,गाने एवं लघुकथाएं लिखी थीं। इसके साथ-साथ वह एक महान संगीतकार और दार्शनिक भी थे। वह एशिया के पहले नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्होंने देश को राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ दिया है।
बंगलादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला‘ भी टैगोर का लिखा हुआ है। उनका निधन सात अगस्त 1941 को हुआ था।