सिरोही। जिले में शराब तस्करों के साथ पुलिस के गठबंधन की जांच में जिले में कोविड के दौरान तैनात आरएसी की टुकड़ी की प्रताडऩा को शामिल किए बिना जांच के पहलू अधूरे ही रहेंगे।
सूत्रों की मानें तो शराब तस्करी के गठबंधन के कारण उन्हें भी प्रताडि़त होना पड़ा था। शराब तस्करी की सिरोही में बिछी लाइन में पिण्डवाड़ा, सरूपगंज और आबूरोड सिटी के बाद अब आबूरोड के रीको थाना क्षेत्र की बात जिसमें हुआ घटनाक्रम भी पुलिस-तस्कर गठबंधन की ओर इशारा करता है।
पकड़ ली थी शराब की गाडिय़ां
सबगुरु न्यूज ने इस घटना का जिक्र पूर्व के समाचार में भी किया था। जिले में कोरोना फैल चुका था। बॉर्डर पर सख्ती हो चुकी थी। वाहनों की आवाजाही तो बंद नहीं की थी, लेकिन हर वाहन में आने वाले व्यक्ति की आरटीपीसीआर रिपोर्ट देखी जानी थी। इससे हर वाहन रुकता। जिला पुलिस ने यहां पर राजस्थान पुलिस के साथ-साथ आरएसी को भी तैनात किया था। आरएसी के यही जवान किवरली में नदी के पास स्थित कोविड सेंटर पर भी ड्यूटी देते थे।
सूत्रों के अनुसार मई महीने की एक कार्रवाई में मावल चेकपोस्ट पर एक कार को आरएसी के जवानों ने रोका। उसमें शराब की पेटियां मिल गई तो उसे किनारे लगा दिया। ड्राइवर ने इसे लाइन की है बोलकर छुड़वाना चाहा, लेकिन आरएसी के जवान को लाइन की जानकारी नहीं थी तो ड्राइवर ने फोन लगाया और आरएसी जवानों को बात करने को कहा।
दूसरी तरफ सिरोही का ही शराब तस्कर था। सूत्रों की मानें तो रायता फैल गया और इस गाड़ी में रखी शराब को पकडऩा पड़ा। रातों रात इन जवानों को मावल से कोविड केयर सेंटर भेज दिया गया। इससे ये जवान खफा दिखे।
फिर पकड़ लिया पूरा ट्रक
इस घटना के कुछ दिनों बाद फिर से आरएसी जवानों को मावल पर लगाया गया। सूत्रों के अनुसार पूर्व में मावल से अपमानित हुए जवानों ने अपने इन साथियों को मावल के गोरखधंधे के बारे में बता रखा था। इस दिन इन आरएसी जवानों ने शराब भरकर गुजरात जा रहे ट्रक को ही पकड़ लिया। फिर रायता फैला और इस ट्रक में भरे माल को जब्त दिखाना पड़ा।
सूत्रों की मानें तो इस घटना के बाद एक पुलिस अधिकारी ने इन आरएसी जवानों को जबरदस्त तरीके से प्रताडि़त किया। इसके बाद इन्हें जोधपुर ही भेज दिया गया। आबूरोड रीको थाना क्षेत्र में मई महीने में शराब पकडऩे के दौरान आबूरोड व मावल में तैनात आरएसी बटालियन के बयान भी जिले में इस शराब तस्करी की लाइन के कई लोगों का खुलासा कर सकते हैं।
आज शुरू हो सकते हैं बयान
जिले में पुलिस-तस्कर गठबंधन में शामिल पुलिस अधिकारियों और कार्मिकों की जांच के लिए जिले में आए दोनों डीआईजी ने दो दिनों में शराब तस्करी के सभी घटनास्थल और संभावित स्थलों का मुआयना किया है। सूत्रों के अनुसार में इसमें कई पुलिस अधिकारियों से पूछताछ भी हुई। अब इस पूरे घटनाक्रम में शामिल पुलिसकर्मियों के बयान होंगे। इसके बाद रिपोर्ट पर काम होगा। जांच दल को दस दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
व्हाट्सएप कॉल की गलतफहमी ने करवाई आफत
सबगुरु न्यूज के पास एक और ऑडियो रिकॉर्डिंग आई है। इसमें पुलिसकर्मी यह कहता सुनाई दे रहा है कि साहब ने कहा कि व्हाट्स एप कॉल किया करें। जिले में पुलिस विभाग में यह गलतफहमी फैल रखी है कि व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्ड और इंटरसेप्ट नहीं होती है। इसी गलतफहमी ने तेजाराम का सत्यापन करवा दिया।
उसके खिलाफ एसीबी ने कल रात मुकदमा दर्ज कर लिया है। सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार को गिराने की घटना के बाद से ही राज्य में व्हाट्सएप कॉल रिकॉर्डिंग की व्यवस्था भी हो रखी है। जिले के पुलिसकर्मी इसे सबसे सुरक्षित मानकर हर तरह की बात इस पर करते रहे।
तस्कर का राजनीतिक कनेक्शन
जिले में शराब तस्करी के मुखिया का नाम हाल ही में बाहर आया है। सूत्रों की मानें तो इस तस्कर का संबंध किसी राजनीतिक पार्टी से भी है। जिले में शराब तस्करी की घटना में नेताओं की चुप्पी की एक वजह ये भी बताई जा रही है।
सूत्रों की मानें तो आबूरोड क्षेत्र में हुई एक कार्रवाई में दर्ज की गई एफआईआर में इस नाम का खुलासा किया गया है। ये तस्कर जिस दल से जुड़ा हुआ है उसकी चुप्पी तो समझ आती है, लेकिन उसके विपक्षी दल द्वारा इस गठजोड़ में शामिल राजनीतिक कार्यकर्ता को लेकर चुप्पी संदिग्ध है।