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राफेल समझौते में ऐसी कंपनी शामिल जो बनी ही नहीं थी : रणदीपसिंह सुरजेवाला
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राफेल समझौते में ऐसी कंपनी शामिल जो बनी ही नहीं थी : रणदीपसिंह सुरजेवाला

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राफेल समझौते में ऐसी कंपनी शामिल जो बनी ही नहीं थी : रणदीपसिंह सुरजेवाला
Rafael agreement, there was a company that did not exist: Randeep Singh Surjewala
Rafael agreement, there was a company that did not exist: Randeep Singh Surjewala
Rafael agreement, there was a company that did not exist: Randeep Singh Surjewala

नयी दिल्ली । कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आज आरोप लगाया कि उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड(एचएएल) के साथ हुए समझौते को रद्द कर निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनी काे ठेका दिया जो समझौते के समय धरातल पर थी ही नहीं।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने इस सौदे के तहत फ्रांस की कपंनी डसाल्ट एविएशन के साथ संयुक्त उपक्रम में एचएएल को तकनीकी हस्तांतरण के लिए साझीदार बनाया था। मोदी सरकार ने इस समझौते को रद्द कर दिया और अब रिलायंस डिफेंस लिमिटेड नाम की कंपनी ने डसाल्ट एविऐशन के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया है। कंपनी समझौते के समय अस्तित्व में ही नहीं थी। यह कंपनी राफेल सौदा होने के 14 दिन बाद बनी है।

उन्होंने कहा कि रिलायंस समूह की कंपनी ने जब इस सौद के लिए आवेदन किया था उस समय तक उसके पास न लाइसेंस था और ना ही अपनी कोई जमीन और ना ही ढांचागत व्यवस्था थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने गुजरात के अमरेनी का जो पता दिया है उस जगह कोई और कंपनी संचालित हो रही है। उस कंपनी का मालिक भी कोई और ही है।

प्रवक्ता ने कहा कि रिलायंस समूह को राफेल का कुल 130 लाख करोड़ रुपए का ठेका दिया गया। इसमें एक लाख करोड़ रुपए का ऑफसेट सौदा है जिसके तहत इन विमानों की मरम्मत तथा उनसे संबंधित देखरेख का काम 50 साल तक रिलायंस समूह की इन कंपनियों को ही करना है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया श्री मोदी काे यह बताना चाहिए कि उन्होंने संप्रग सरकार के दौरान हुए 526 करोड़ रुपए की दर से हुए राफेल सौदे को रद्द कर उसी विमान का सौदा 1600 करोड़ रुपए में क्यों किया। इसके साथ ही उन्हें देश की जनता काे यह भी बताना चाहिए जब सार्वजनिक क्षेत्र की अनुभवी कंपनी को इन विमानों की तकनीक हस्तांतरण के लिए चुना गया था तो उसे किस आधार पर रद्द कर निजी क्षेत्र की अनुभवहीन कंपनी को यह काम दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस सौदे में निर्धारित नियमों को ताक पर रखा गया है और रक्षा खरीद के लिए जो दिशा निर्देश हैं उनका कहीं पालन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के सभी समझौतों को रक्षामंत्री द्वारा मंजूरी दी जाती है और रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद के प्रमुख के हस्ताक्षर होते हैं। सरकार को बताना चाहिए कि क्या इन सब दिशा निर्देशों का इस सौदे में पालन हुआ है।

सुरजेवाला ने इस सौदे में भारतीय ऑफसेट सहयोगी के बारे में भी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर गलत बयानी करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने देश को गुमराह किया है। प्रवक्ता ने कहा कि रक्षा मंत्री ने गत सात फरवरी को कहा कि ऑफसेट सहयोगी के रूप में कोई भारतीय कंपनी नहीं है जबकि रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने 23 सितम्बर 2016 को दवा किया था कि इस सौदे में कंपनी ऑफसेट सहयोगी की भूमिका में होगी।