SABGURU NEWS | नयी दिल्ली सरकार ने आज संसद को बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय खरीदे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमान की कीमत ही तय नहीं हो पायी थी इसलिए यह कहना गलत है कि मौजूदा सरकार इन्हें महंगा खरीद रही है।
रक्षा राज्य मंत्री डा सुभाष भामरे ने राज्यसभा में कांग्रेस के विवेक तन्खा के लिखित सवाल के जवाब में कहा कि संप्रग सरकार ने राफेल के सौदे के लिए वर्ष 2007 में अनुरोध पत्र (आरपीएफ) जारी किया था और वह वर्ष 2014 तक भी 126 विमानों के सौदे की शर्तों को अंतिम रूप नहीं दे पाई थी। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के सौदे में 108 विमानों के भारत में विनिर्माण के लिए केवल लाइसेंस विनिर्माण शामिल किया गया था।
इसमें एक विमान की कीमत तय नहीं की जा सकी थी। मौजूदा सरकार ने जो सौदा किया है उसमें उडने की हालत में पूरी तरह तैयार 36 विमानों के खरीद की बात कही गयी है। इसलिए इन दोनों सौदों की तुलना नहीं की जा सकती और न ही यह कहा जा सकता कि मौजूदा सरकार इन विमानों को अत्यधिक महंगे खरीद रही है।
डा भामरे ने साथ ही यह भी कहा कि केवल 36 विमानों की खरीद के सौदे में यदि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया जाता तो यह किफायती नहीं होता।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 36 विमानों की खरीद के समझौते पर हस्ताक्षर से पहले सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की अनुमति ले ली गयी थी। उन्होंने कहा कि समिति ने 24 अगस्त 2016 को इस सौदे पर मुहर लगायी जबकि इस पर हस्ताक्षर 23 सितम्बर 2016 को किये गये।