नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष बुधवार को हलफनामा दायर किया।
समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई के परिप्रेक्ष्य में केंद्र ने रक्षा मंत्रालय के माध्यम से हलफनामा दायर करके कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने पुनरीक्षण याचिका के साथ गोपनीय एवं संवेदनशील दस्तावेजों की ‘अनधिकृत’ छायाप्रति संलग्न करके अपराध किया है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पुनरीक्षण याचिकाओं की प्रति ‘पब्लिक डोमेन’ में मौजूद है, जिसके साथ युद्ध एवं लड़ाकू क्षमता से संबंधित संवेदनशील एवं गोपनीय सूचना की छायाप्रतियां उपलब्ध हैं।
सरकार ने एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की दलील का समर्थन करते हुए अपने हलफनामे में कहा है कि गोपनीय सरकारी दस्तावेजों का अनधिकृत इस्तेमाल एवं उसे लीक करना भारतीय दंड संहिता के तहत चोरी है।
रक्षा मंत्रालय की दलील है कि लीक दस्तावेज गोपनीय हैं और केंद्र सरकार भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 123 और 124 के तहत विशेषाधिकार का दावा करने का हकदार है। इस प्रकार याचिकाकर्ताओं को सरकार से अनुमति लिये बिना उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश करने का कोई अधिकार नहीं है।
इतना ही नहीं, सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) की धारा आठ(एक)(ए) के तहत इन दस्तावेजों को उजागर नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत में गुरुवार को पुनरीक्षण याचिकाओं की सुनवाई होनी है। ये याचिकाएं पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा एवं अन्य ने दायर की है।