नई दिल्ली। भारत और फ्रांस ने बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान राफेल के खरीद सौदे के निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप आगे बढने पर शनिवार को संतोष व्यक्त किया।
भारत ने वर्ष 2016 में फ्रांस सरकार से उडने की हालत में तैयार 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा किया था। समझौते के अनुसार इन विमानों की भारत को आपूर्ति अगले साल से शुरू होनी है और वर्ष 2022 तक सभी विमान मिल जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इनैमुएल मैक्रों के बीच यहां हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने राफेल विमान तथा अन्य रक्षा खरीद समझौतों की निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप प्रगति पर संतोष व्यक्त किया है।
उन्होंने फ्रांस के सहयोग से भारत में बनाई गई स्कोर्पिन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवारी के नौसेना के बेडे में शामिल होने पर भी संतोष प्रकट किया। भारत में फ्रांस के सहयोग से इस श्रेणी की छह पनडुब्बी बनाई जा रही हैं।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के इस सौदे पर सवाल उठाने पिछले कुछ समय से यह सुर्खियों में है। उसने सौदे में पारदर्शिता की कमी बताई है और सरकार पर इसकी कीमत छिपाने का आरोप लगाया है। पार्टी का आराेप है कि ये विमान बहुुत अधिक कीमत पर खरीदे जा रहे हैं और सरकार गोपनीयता के करार का बहाना बनाकर इसकी सही कीमत नहीं बता रही है।
मोदी और मैक्राें ने रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में साझेदारी को आगे बढाने पर सहमति जताई। उन्होंने माना कि दोनों देशों के रक्षा उद्यम मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उपकरणों और उत्पादों के सह-उत्पादन तथा मिलकर विकास करने के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
दोनों पक्ष परस्पर लाभ के लिए रक्षा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में भी सहयोग कर सकते हैं। दोनों नेताओं ने भारत और फ्रांस की कंपनियों के संयुक्त उपक्रमों का स्वागत किया तथा इसी तर्ज पर नए उपक्रमों को समर्थन के प्रति वचनबद्धता प्रकट की।