नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर विपक्ष द्वारा मचाये जा रहे बवाल के बीच वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने कहा कि भारत जिस तरह के ‘गंभीर खतरे’ का सामना कर रहा है उसे देखते हुए वायु सेना को राफेल जैसे विमान और रूसी सुरक्षा प्रणाली एस-400 की जरूरत है।
एयर चीफ मार्शल ने बुधवार को यहां एक सेमीनार में कहा कि दुनिया में केवल दो देश दक्षिण कोरिया तथा इजराइल ही अपने-अपने क्षेत्रों में भारत जैसे खतरे का सामना कर रहे हैं लेकिन इन दोनों ने ही अपनी वायु सेना को बेहद मजबूत बना लिया है।
उन्होंने कहा कि देश में ही बना तेजस विमान उस कमी को पूरा नहीं कर सकता जिसका सामना वायु सेना कर रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए राफेल जैसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस विमान की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि समय की जरूरत है कि भारतीय वायु सेना को पडोसी देशों की ताकत को देखते हुए मजबूत बनाया जाना चाहिए। पाकिस्तान और चीन की हवाई ताकत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना को 42 स्क्वैड्रन की जरूरत है लेकिन उसके पास केवल 31 स्क्वैड्रन हैं।
पाकिस्तान निरंतर अपनी ताकत बढा रहा है और उसके पास लड़ाकू विमानों के 20 से अधिक स्क्वैड्रन हैं जिनमें उन्नत एफ-16 भी हैं और वह चीन से बडी संख्या में जे-17 विमान हासिल कर रहा है। चीन के पास 1700 से ज्यादा लड़ाकू विमान हैं जिनमें 800 चौथी नई पीढी के लडाकू विमान हैं।
एयर चीफ मार्शल धनोआ ने एक कदम आगे जाकर कहा कि यदि भारत के पास लडाकू विमानों के 42 स्क्वैड्रन भी हो जाते हैं तो भी वह दोनों की ताकत का मुकाबला नहीं कर सकता। हालांकि वायु सेना इससे पहले कई बार कह चुकी है कि वह एक साथ दो मोर्चों पर आपात स्थिति से निपटने में सक्षम है।
फ्रांस से राफेल विमानों के केवल दो स्क्वैड्रन खरीदे जाने पर उन्होंने कहा कि यह वायु सेना की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए है और इससे पहले भी विमानों के दो स्क्वैड्रन खरीदे गए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने रूस से मिग-29 विमानों के दो स्क्वैड्रन तथा फ्रांस से मिराज लडाकू विमानों के दो स्क्वैड्रन खरीदे जाने का उल्लेख किया।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा फ्रांसिसी कंपनी डसाल्ट एवियेशन से 126 राफेल विमानों की खरीद के सौदे को रद्द कर सीधे फ्रांस सरकार से उडने की हालत में तैयार 36 विमानों की खरीद का सौदा किया है। कांग्रेस इस सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कह रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सौदे में अपने एक उद्योगपति मित्र को फायदा पहुंचाया है।