श्रीनगर। श्रीनगर में झेलम नदी के तट पर बने 200 वर्ष पुराने रघुनाथ मंदिर की खोई हुयी महिमा को पुनः स्थापित करने के लिए इसका पुनरूद्धार जारी है और लगभग 54 लाख रुपए की लागत से यह कार्य नवंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने मंदिर के पुनरूद्धार तथा झेलम नदी के घाटों के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी राज्य पर्यटन विभाग को सौंपी है। उधर, मंदिर की प्रबंधन समिति के अधिकारी मंदिर की भीतरी दीवारों को तीन तरफ से ढंकने के लिए सोने के रंग की भारी टीन की चादरों के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं।
जबकि पर्यटन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह बाजार में उपलब्ध नहीं है, इसलिए अब नवीनतम रंगीन टीन शीट का उपयोग किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के उभरने की वजह से अधिकतर कश्मीरी पंडितों के यहां से देश के अन्य हिस्सों में जाकर बसने के बाद से यहां कोई पूजा नहीं हुई है।
मंदिर की प्रबंधन समिति के अधिकारियों ने दावा किया कि यहां ऐसे केवल दो ही मंदिर हैं, एक श्रीनगर में है और एक जम्मू में। उन्होंने बताया कि यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है और घाटी में सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है।
मंदिर का निर्माण कार्य 1835 में महाराजा गुलाब सिंह द्वारा शुरू किया गया था, हालांकि वह काम पूरा नहीं कर सके और उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे महाराजा रणबीर सिंह ने 1860 में निर्माण कार्य पूरा किया। ‘