जयपुर। राजस्थान विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की संघर्षपूर्ण वापसी के नायक रहे अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। वह छात्र जीवन से राजनीति से जुडे रहे हैं। प्रदेश के जोधपुर में 3 मई 1951 को जन्मे गहलोत की छवि राजस्थान में जन नायक की रही है।
गहलोत ने अपने सार्वजनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारियां संभाली। वह दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे तथा एक बार वह नेता प्रतिपक्ष रहे। इसके अलावा केन्द्र सरकार में भी उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।
राजनीतिक सफर की शुरुआत गहलोत ने 1971 में उस समय की जब वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रुप पूर्वी बंगाल में शरणार्थी की समस्या के दौरान काम कर रहे थे। उनकी संगठनात्मक क्षमता से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राष्ट्रीय छात्र संगठन का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया।
इसके बाद वह पहली बार जोधपुर से वर्ष 1980 लोकसभा के लिए चुने गये। फिर 1984 में आठवीं, 1991में दसवीं, 1996 में ग्यारहवीं और 1998 में बारहवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
इसके बाद गहलाेत ने राजस्थान की राजनीति की ओर रुख किया और वर्ष 1999 में ग्यारहवीं राजस्थान विधान सभा के लिए सरदारपुरा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए तथा इसी वर्ष वह राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए।
इसी तरह वर्ष 2003 में इसी सीट से निर्वाचित हुए। वह पहली बार वर्ष 1999 से 2003 तथा दूसरी बार 2008 से 2013 तक दूसरी बार तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस बीच वर्ष 2003 से 2008 तक नेता प्रतिपक्ष रहे।
राजस्थान में मारवाड़ के गांधी नाम से मशहूर गहलोत का प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में काफी दबदबा है। गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्नातक की पढ़ाई की है तथा अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर है।
वह कई बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, जिला अध्यक्ष रहे तथा केन्द्र और राज्य सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे। उन्होंने केन्द्र में पर्यटन और खेल सहित अनेक संसदीय समितियाें में काम किया है। इसी तरह वह राज्य सरकार में भी अनेक विभागों में काम कर चुके हैं।