नई दिल्ली। कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्य समिति ने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को संगठन में आमूलचूल परिवर्तन करने के लिए अधिकृत किया है और उनके नेतृत्व पर विश्वास जताते हुए उनकी इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन की समीक्षा को लेकर कार्य समिति की शनिवार को हुई यहां पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक के बाद आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल तथा रणदीपसिंह सुरजेवाला ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर गहन विचार विमर्श किया गया जिसमें कांग्रेस महा सचिव प्रियंका गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित लगभग सभी प्रदेशों के प्रभारी महासचिवों ने अपने विचार व्यक्त किए। बैठक में 30 से ज्यादा नेताओं ने अपने विचार रखे और संगठन को मजबूत करने के लिए गांधी के नेतृत्व में नए सिरे से काम करने का सुझाव दिया गया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर चर्चा के बीच गांधी ने अपने विचार रखने शुरू कर दिए। उन्होंने चुनाव में पार्टी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं तथा उम्मीदवारों और कांग्रेस को समर्थन देने वाले देशवासियों का धन्यवाद किया और कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के लिए वह नैतिकरूप से जिम्मेदार हैं इसलिए पद से इस्तीफा दे रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जैसे ही गांधी ने इस्तीफा देने की पेशकश की कार्य समिति के सभी सदस्यों ने एक स्वर में इस पर अपनी असहमति व्यक्त की और कहा कि गांधी ने पांच साल तक लगातार पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काम किया है इसलिए पार्टी को उनकी जरूरत है और उन्हें पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए। कार्य समति के सभी सदस्यों ने एकजुट होकर गांधी की पेशकश को अस्वीकार कर दिया।
संवाददाता सम्मेलन में आजाद ने कहा कि उन्होंने पहले कई बार इस तरह की स्थिति काे देखा है लेकिन गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए जिस तरह से पूरी कार्य समिति ने एकजुटता दिखाई वह अभूतपूर्व थी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के पहले से ही जिस तरह से गांधी जनता के मुद्दे उठाते रहे हैं उससे साबित होता है कि विपक्षी दल के एक सशक्त नेता की भूमिका गांधी ही निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गांधी में नेतृत्व के असाधारण गुण हैं और उनकी इस क्षमता को कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ही नहीं बल्कि देश की जनता ने भी देख लिया है। पार्टी सरकार बनाने के लिए संख्या के स्तर पर चुनाव जरूर हारी है लेकिन कांग्रेस अपने सिद्धांतों की लड़ाई निरंतर लड़ती रहेगी इसलिए कार्य समिति ने एकजुट होकर इस्तीफे की उनकी पेशकश को अस्वीकार कर दिया और उन्हें कांग्रेस का नेतृत्व जारी रखने के लिए कहा है।
कार्य समिति ने 2019 लोकसभा चुनाव के जनादेश को विनम्रता से स्वीकार किया है और कांग्रेस पर विश्वास व्यक्त करने के लिए मतदाताओं का धन्यवाद दिया। कार्य समिति ने कहा कि कांग्रेस एक जिम्मेदार तथा सकारात्मक विपक्ष के रूप में अपना कर्तव्य निभाएगी और देशवासियों की समस्याओं को सामने रख उनके प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए काम करेगी।
पार्टी ने कहा है कि इस समय कांग्रेस संकट के दौर से गुजर रही है। पार्टी के लिए यह प्रतिकूल और चुनौतीपूर्ण समय है और इससे निपटने के लिए पार्टी को गांधी के नेतृत्व तथा मार्गदर्शन की आवश्यकता है। समिति ने कांग्रेस अध्यक्ष को देश के युवाओं, किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ों, गरीबों, शोषितों, अल्पसंख्यकों तथा वंचितों की समस्याओं के लिए आगे बढ़कर काम करने का आग्रह किया।
कांग्रेस कार्य समिति ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ आए जनादेश से पैदा हुई चुनौतियों, विफलताओं और कमियों को स्वीकार किया और कहा कि इन चुनौतियों तथा विपरीत स्थितियों से कैसे निपटना है इसलिए पार्टी में हर स्तर पर बदलाव करने तथा संगठनात्मक ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है और गांधी को जल्द से जल्द इस योजना पर काम शुरू करना है।
कार्य समिति ने कहा कि चुनाव हारने के बाद सिद्धांतों के संरक्षण के लिए कांग्रेस की प्रतिबद्धता पहले से ज्यादा मजबूत है और पार्टी नफरत और विभाजन की ताकतों से लोहा लेने के लिए पहले की तरह कटिबद्ध है।
समिति ने देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों का संज्ञान लिया और कहा कि इनका हल नई सरकार को ढूंढना है। ईरान पर प्रतिबंध लगने के बाद तेल की बढ़ती कीमतें एवं बढ़ती महंगाई को कार्य समिति ने वर्तमान समय की एक बड़ी समस्या बताया है। इसी तरह से बैंकिंग प्रणाली की स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा गया है कि पिछले पांच साल के दौरान बैंकों में गैरनिष्पादित राशि-एनपीए अनियंत्रित तरीके से बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है जिससे बैंकों की स्थिरता खतरे में है।
कार्य समिति में देश की आर्थिक स्थिरता, उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में तीव्र गिरावट, नौकरियों का संकट, चुनाव आयोग की निष्पक्षता जैसे मुद्दे भी उठे हैं और इन पर चिंता जाहिर की गई है।
इसके साथ ही आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में सूखे की स्थिति, संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता तथा अखंडता पर मंडराते खतरे, सामाजिक सदभाव तथा भाईचारे पर लगातार हो रहे आक्रमण जैसे कई मुद्दों को संज्ञान में लिया गया और इन पर अगली सरकार द्वारा तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।