श्रीनगर | जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किये जाने बाद कश्मीर घाटी की स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को यहां पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी तथा कुछ अन्य विपक्षी नेताओं को प्रशासन ने शहर में जाने की अनुमति नहीं दी और उन्हें यहां हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन ने श्रीनगर में सुरक्षा हालात का हवाला देते हुए नौ विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को हवाई अड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी। विपक्षी नेताओं का दल करीब दो बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचा । रिपोर्टों के अनुसार मीडिया ने जब विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिलने का प्रयास किया तो उसे मिलने नहीं दिया गया। बारह सदस्यीय इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, द्रमुक नेता तिरुचि शिवा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता माजिद मेमन, तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी तथा राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया है और राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र शासित प्रदेशों में 31 अक्टूबर को विभाजित कर दिया जायेगा। इस फैसले से पहले ही राज्य में हजारों की संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था और कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे जिन्हें एक-एक कर हटाया जा रहा है।
गांधी की अगुवाई में नौ विपक्षी दलों का यह प्रतिनिधिमंडल वहां की जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए आया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को ही एक वक्तव्य जारी कर विपक्षी नेताओं से आग्रह किया था कि वे फिलहाल कश्मीर घाटी में न आएं और प्रशासन के साथ सहयोग करें।
प्रशासन ने ट्वीट किया कर कहा था, “ नेताओं के दौरे से असुविधा होगी। हम लोगों को आतंकवादियों से बचाने में लगे हैं।” प्रशासन ने कहा कि नेता उन प्रतिबंधों का भी उल्लंघन कर रहे होंगे, जो अभी भी कई क्षेत्रों में हैं। वरिष्ठ नेताओं को समझना चाहिए कि शांति-व्यवस्था बनाए रखने और नुकसान को रोकने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही। अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद से ही गांधी समेत पूरी कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है और वे राज्य की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।