पटना। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के देश के गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए देने के वादे पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि गांधी झूठों के सरताज और घोटालेबाज हैं इसलिए उन्होंने वादा तो कर दिया लेकिन इसे पूरा करने को लेकर कुछ ठोस नहीं कह सके।
बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा कि गांधी ने आज देश के गरीबों के साथ निर्मम और क्रूर मजाक किया है। उन्होंने गरीबों को सालाना 72 हजार रुपए देने का हवाई वादा किया लेकिन यह बताना भूल गए कि वह इस वादे को पूरा कैसे करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनकी दादी (पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी) ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था और अब राहुल गांधी भी वही रट लगा रहे हैं। उन्हें यह बताना चाहिए था कि आज तक कांग्रेस ने तीन पीढ़ियों के अपने शासनकाल में गरीबों के लिए क्या किया है।
राय ने कहा कि गांधी को तो सबसे पहले वह गुप्त मंत्र बताना चाहिए जिसके जरिए 10 वर्षों में उनकी आमदनी 1600 गुना बढ़ गई है। जिस व्यक्ति का लगभग पूरा परिवार ही जमानत पर चल रहा है वह व्यक्ति देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठ और नफरत की खेती कर रहा है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गांधी के सार्वजनिक रिकॉर्ड के मुताबिक उनकी आमदनी का एकमात्र वैध स्रोत तो सांसद के तौर पर उनको मिलने वाला वेतन और उनकी जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज है, फिर 2004 में जब उनके पास 55 लाख रुपए की संपत्ति थी तो वह 2014 में बढ़कर नौ करोड़ रुपए से अधिक की कैसे हो गई। इससे बड़ा घोटाला और क्या हो सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि गांधी और उनकी पार्टी ने मध्य प्रदेश में किसानों के साथ कर्जमाफी के नाम पर भद्दा मजाक किया। अब वह 72 हजार सालाना की नई हवाबाजी कर रहे हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि गांधी का एचएल पाहवा से क्या संबंध है। वह 2011-12 में ही आय से अधिक आमदनी के एक मामले में आरोपी हैं। वह खुद जमानत पर हैं। आज गांधी की आय में इस तरह की आसमानी वृद्धि देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है।
राय ने कहा कि नेशनल हेराल्ड का मामला हो या जमीन की खरीद-बिक्री का, गांधी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। उनको किसी भी तरह की गलतबयानी या थोथी हवाबाजी से पहले देश को बताना चाहिए कि उनके पास अपने भ्रष्टाचार का क्या जवाब है।
वहीं, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय ने कहा कि पांच साल तक केंद्र की सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस को गरीबों की याद सताने लगी है। इसलिए, गांधी 25 करोड़ लोगों को साल में 72 हजार की राशि सीधे खाते में देने का दिवास्वप्न दिखा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गांधी यह क्यों नहीं बताते कि उनके परिजनों और नेताओं ने न सिर्फ गरीबों की गाढ़ी कमाई को चूसने का काम किया बल्कि उनकी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को बढ़ावा भी दिया गया है।