नई दिल्ली। सशस्त्र सेनाओं 70 से अधिक के पूर्व अधिकारियों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर ट्वीट्स और बयानों पर गहरी चिंता जताई है और आशा व्यक्त की है कि इतने बड़े राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर वह ‘क्षुद्र राजनीति’ को विराम देंगे।
थल सेना, वायुसेना और नौसेना में देश की सुरक्षा की खातिर अपना जीवन समर्पित करने वाले इन रणबाँकुरों ने प्रेस को गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि वे लद्दाख में सीमा पर भारतीय एवं चीनी फौज के बीच चल रहे गतिरोध काे लेकर गांधी के हाल के अवांछित ट्वीट एवं बयानों से बहुत चिंतित हैं और इन बयानों की भर्त्सना करते हैं।
गांधी को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि विश्व की सबसे कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में हमारे सैनिक कैसे काम करते हैं। पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि गांधी को इस विवाद का इतिहास पढ़ना चाहिए और 1962 को नहीं भूलना चाहिए जब देश की कमान के उनके पिता के नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथों में थी। उस समय हम ना केवल बिना तैयारी के लड़े बल्कि हमें चीन के हाथों अपमानजनक पराजय को झेलना पड़ा और हमें बड़ा नुकसान हुआ।
सबको पता है कि अच्छे हथियारों, गोलाबारूद एवं अन्य संसाधनों से महरूम रहने के बावजूद भारतीय सैनिकों की जबरदस्त बहादुरी के कारण चीन को भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी तथा उसे जीते हुए हमारे इलाके से हटना पड़ा। देश की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की रक्षा के लिए हमारे सैनिक भी बड़ी संख्या में शहीद हुए।
हमारे शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व ने अपनी हजारों किलोमीटर की जमीन गंवा दी जिस पर आज चीन काबिज है। इसमें अक्साई चिन शामिल है। आज के विवाद एवं सैन्य गतिरोध उसी भयंकर गलती का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि ऐसे बयानों के पीछे गांधी को जो भी प्रेरणा हुई, पर हम सबके लिए सही तथ्यों का ध्यान नहीं रखना और राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध बयान हमारी चिंता का मुख्य कारण है। सब जानते हैं कि 2017 में डोकलाम गतिरोध के समय गांधी चीनी राजनयिकों के साथ सांठगांठ कर रहे थे। किसी भी भारतीय से अपने देश एवं अपनी सेना के विरुद्ध ऐसे बयानों की अपेक्षा नहीं होती है जो शत्रु देश का खुला समर्थन करने वाले हों।
गांधी के बयानों को पाकिस्तान में ज्यों का त्याें दोहराया गया और उससे देश विरोधी तत्त्वों एवं आतंकवादियों को शह मिली। ऐसे सैन्य महत्व के मसलों को क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए मनमाना मोड़ देना अत्यंत निंदनीय है। गांधी की इस निम्नस्तरीय राजनीति से हम सब पूर्व सैनिक अपमानित एवं लज्जित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वे मीडिया सहित समूचे राष्ट्र का आह्वान करते हैं कि गांधी के गैर जिम्मेदाराना बयानों की एक सुर से भर्त्सना की जाए। हम यह भी आग्रह करते हैं कि इतने बड़े राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे का क्षुद्र राजनीति के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाए। उम्मीद है कि ऐसे बयान अब नहीं आएंगे।