सबगुरु न्यूज। एक मारा, सॉलिड मारा। सौ सुनार की एक लोहार की, दुश्मन या विरोधियों पर हमले या शब्दों की बौछार करने के लिए ऐसा उपयुक्त समय चुनो, जिससे वह चारों खाने चित हो जाए। इन चंद लाइनों पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अगर अमल करते तो आज वे अपनी पार्टी और देश की जनता की नजरों में और परिपक्व नेता के रूप में उभर सकते थे ? लेकिन उनके बयान और हमलों का खास असर न तो केंद्र सरकार पर न जनता पड़ता दिखाई देता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के पीएम मोदी के सभी फैसलों, योजनाओं और राष्ट्रहित के मुद्दों पर आए दिन हमले करना, कमियां निकालना, जवाब मांगने की बयानबाजी करना अब उन्हीं की साख खराब होने के साथ किरकिरी भी हो रही है।
जनता भी उनके ट्वीट को अब ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती है। सोमवार को अब राहुल गांधी ने चीन के मुद्दे पर पीएम मोदी पर फिर हमला बोला है। राहुल गांधी ने अपनी वीडियो सीरीज का एक और क्लिप जारी किया है। राहुल ने इस वीडियो में चीन को लेकर अपने विचार साझा किए हैं, साथ ही उसकी विस्तारवादी नीति के बारे में भी जानकारी दी है। इसके अलावा राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि चीन पीएम नरेंद्र मोदी के 56 इंच वाले आइडिया पर अटैक कर रहा है। राजनीति में विरोधी दल के नेताओं को सत्तारूढ़ सरकार पर हमले करने का पूरा अधिकार होता है। लेकिन देश की जनता के सामने उसका असर तब और बढ़ जाता है जब विरोधी नेता को तथ्य और मामले की पूरी जानकारी हो। लेकिन राहुल गांधी हर एक मामले में मोदी सरकार पर हमने करने के लिए तैयार रहते हैं।
पिछले एक साल से राहुल गांधी लगातार पीएम मोदी पर हमले करते आ रहे हैं
पिछले वर्ष 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे उस समय राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। चुनाव के दौरान राहुल ने पीएम मोदी पर राफेल विमान को लेकर सैकड़ों बार चुनावी रैली में ताबड़तोड़ हमले किए थे। राहुल गांधी के द्वारा मोदी को ‘चौकीदार चोर’ कहने पर देश की जनता ने उनको नकार दिया था। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी राहुल के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए माफी मांगने के आदेश दिए थे। राहुल के इस बयान का चुनाव में उल्टा दांव पड़ गया था। चुनावों में कांग्रेस मात्र 50 सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी, जबकि पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा 300 से अधिक सीटें निकालने में सफल रही थी।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन राहुल ने पीएम मोदी पर अटैक करना नहीं छोड़ा। उसके बाद मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता कानून संशोधन, एनआरसी और पाकिस्तान समेत आदि विदेश नीति के मुद्दों पर लगातार पीएम मोदी पर हमला करना जारी रखा। राहुल गांधी की मोदी पर इस बयानबाजी को देश की जनता ने नकार दिया था। उसके बाद मोदी सरकार की गृह नीति पर राहुल ने कई बार सवाल उठाए थे, यही नहीं कोरोना महामारी और चीन और भारत की हुई हालिया झड़प को लेकर भी राहुल गांधी ने सैकड़ों बार पीएम मोदी पर तीखे हमले करते आ रहे हैं।
राष्ट्रहित के मामलों में राहुल के बयानों पर उन्हीं के पार्टी नेता भी सहमत नहीं हुए
राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष के लगातार मोदी पर हमले और सवाल-जवाब से उन्हीं के पार्टी के नेता और उनकी युवा टीम कई बार असहमति भी जता चुकी है। लेकिन वह इसको अनदेखा कर आज भी लगातार मोदी सरकार पर हमले करने से नहीं चूकते हैं। पिछले माह जब भारत और चीनी सैनिकों की लद्दाख के गलवान घाटी में खूनी झड़प हुई थी उस समय भी राहुल ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए अपनी पूरी सीमा पार कर दी थी। भारत और चीन के युद्ध जैसे हालातों पर भी राहुल गांधी मोदी सरकार से लगातार सवाल-जवाब करने पर देश की जनता ने उन्हें ही उल्टा कटघरे में खड़ा कर दिया था।
इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि यह देश से जुड़ा सीधा ही आंतरिक मामला था। राहुल गांधी के ट्वीट के बाद देश की छवि खराब होने के साथ चीन को भी बल मिल रहा था। यही नहीं राहुल के चीन के मुद्दे पर ट्वीट को लेकर उन्हीं के पार्टी के नेता चाहे मिलिंद देवड़ा, जतिन प्रसाद, संदीप दीक्षित, सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई बड़े वरिष्ठ नेताओं ने भी अपनी असहमति जताते हुए मोदी सरकार की प्रशंसा ही की थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी राहुल के इस बयान को बेतुका करार दिया था।
विकास योजनाओं और जनता से जुड़े मुद्दों पर राहुल को करना होगा फोकस
अपनी चुनावी वादों, जनता से जुड़ी नीतियों, विकास योजनाओं और रोजगार आदि मुद्दों पर अगर केंद्र सरकार और कोई गलत फैसले करती है तो उस पर विपक्षी नेताओं को उन्हें घेरने का पूरा अधिकार होता है। ऐसे में जनता भी उस विपक्षी नेता का पूरा खुलकर साथ देती है, कई बार यह भी देखा गया है कि विपक्षी नेताओं के बढ़ते दबाव के आगे सरकारों को कई फैसले अपने बदलने भी पड़े हैं। लेकिन राष्ट्रहित और विदेश नीति के मामलों में विपक्ष को थोड़ा संयम बरतना चाहिए। वैसे भी विदेश नीति और भारत के अन्य देशों से संबंधों के बारे में किसी पार्टी या किसी सरकार की नीति का कोई मतलब नहीं होता।
किसी भी पार्टी की सरकार हो लेकिन उसके देशहित में किए गए काम को सभी पार्टियां स्वीकार करती हैं और सत्ता में आने पर उसको लागू भी करती हैं। राहुल गांधी की पार्टी की सरकारें जब भी चीन या पाकिस्तान की सरकारों के खिलाफ राष्ट्रहित में काम कर रही थीं तो उनको समूचे विपक्ष ने समर्थन दिया था, लेकिन राहुल गांधी युद्ध की छाया में भी पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ राजनीति करते हैं। उनकी बदकिस्मती यह है कि अर्धसत्य पर आधारित तथ्यों को लेकर आते हैं और अपनी किरकिरी करवाते हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार