नई दिल्ली। चारा घोटाले मामले में दोषी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सोमवार को यहां अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) से छुट्टी दे दी गई और उन्हें रांची के एम्स में भर्ती कराने के लिए भेज दिया गया।
यादव को गत दिनों एम्स में भर्ती कराया गया था। आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी यादव से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।
एम्स से छुट्टी मिलने के बाद यादव ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें उनकी मर्जी के बिना और उनका इलाज के बिना ही अस्पताल से छुट्टी दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साजिश के तहत उन्हें अस्पताल से हटाया गया। गौरतलब है कि यादव ने कल एम्स के प्रमुख को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें रांची एम्स न भेजा जाए।
राजद नेता ने यह भी आरोप लगाया कि उनके साथ घोर अत्याचार किया गया और उन्हें साजिश के तहत उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया गया और उनका उचित इलाज नहीं किया गया। उन्होंने एम्स में उनके इलाज के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं दिए जाने की भी शिकायत की।
उन्होंने कहा कि वह पूरी दुनिया को यह बात बताएंगे कि उनके स्वास्थ्य के साथ किस तरह से खिलवाड़ किया गया। इस बीच राजद के समर्थकों ने एम्स में तोड़फोड़ भी की और यादव को अस्पताल से छुट्टी दिए जाने का विरोध किया।
यादव को जब एम्स से छुट्टी दी गई तो काफी संख्या में राजद के कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे तथा पत्रकारों की भीड़ भी मौजूद थी। भीड़ को देखते हुए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए थे। यादव अस्पताल से निकलने के बाद रांची राजधानी एक्सप्रेस से रांची के लिए रवाना हो गए।
लालू ने एम्स से छुट्टी पर जताया एतराज
राष्ट्रीय जनता जल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक को पत्र लिखकर उनसे उन्हें रांची एम्स में नहीं भेजे जाने का अनुरोध किया था।
यादव ने एम्स के निदेशक को लिखे पत्र में कहा कि बिरसा मुंडा कारागार रांची एवं रांची मेडिकल कॉलेज अस्पताल रांची में किडनी का कोई समुचित इलाज एवं देखरेख की व्यवस्था नहीं है। प्रत्येक नागरिक का यह मूलभूत संवैधानिक अधिकार है कि उसका समुचित इलाज उसके संतुष्टि के अनुसार हो। न जाने किस राजनीतिक दबाव में मुझे यहां से एकाएक हटाने का निर्णय लिया जा रहा है।
राजद नेता ने पत्र में कहा कि चिकित्सक भगवान के दूसरे स्वरूप होते हैं। उन्हें किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल के दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। उनका प्रथम कर्तव्य होता है मरीज के स्वास्थ्य में सुधार, इसलिए जब तक मैं पूर्णरूप से स्वस्थ नहीं हो जाता, तब तक मुझे यहीं रखकर मेरा इलाज किया जाए।
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें यहां एम्स से रांची एम्स भेजा जाता है और इससे उनके जीवन पर किसी भी प्रकार का कोई खतरा उत्पन होता है तो इसकी पूरी जवाबदेही आप सब पर होगी।
राजद के प्रवक्ता तथा राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने कहा कि यह साफ है कि लालू प्रसाद को जबरन यहां के एम्स से छुट्टी देने की पटकथा डॉक्टरों ने नहीं लिखी है। हर कोई जानता है ढाई लोग इस देश को चला रहे हैं। जो कुछ उन्होंने किया उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था क्योंकि प्रसाद की स्वास्थ्य समस्या गंभीर है।