भोपाल । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित नेता एवं पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमारिया आज यहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में औपचारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल हो गए।
यहां जंबूरी मैदान पर सभा के लिए तैयार किए गए विशाल मंच पर पूर्व मंत्री कुसमारिया ने गांधी का स्वागत किया। इसके साथ ही वे कांग्रेस में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपक बावरिया, विवेक तन्खा, सुरेश पचौरी, अजय सिंह, अरूण यादव और अन्य नेता भी मौजूद थे। इसके अलावा रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के गोमन सिंह ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
इसके पहले कुसमारिया, गांधी के मंच पर पहुंचने के काफी पहले से नजर आते रहे। वे कांग्रेस नेताओं के साथ मंच पर कभी टहलते हुए या फिर कुर्सी पर बैठकर मीडिया का ध्यान खींचते रहे।
कुसमारिया ने मंच पर अपने संबोधन में गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं का स्वागत किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कोसते हुए कहा कि यह पार्टी अपने आपको संस्कारित कहती है, जबकि अपने बुजुर्ग नेताओं का लगातार तिरस्कार करती है। पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस का वचनपत्र उन्होंने देखा है और इसे देखकर लगता है कि वास्तव में अच्छे दिन अब आएंगे। उन्होंने मोदी सरकार की ओर से शुरू की गयी स्मार्ट सिटी परियोजना की भी आलोचना की और कहा कि वास्तव में किसान, गांव और गौमाता की रक्षा करना बेहतर है। यह कार्य कांग्रेस कर रही है।
कुसमारिया ने नवंबर-दिसंबर में संपन्न राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान ही बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिए थे। भाजपा की ओर से टिकट नहीं दिए जाने पर कुसमारिया ने दमोह और पथरिया विधानसभा सीटों से बागी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। इन दोनों ही स्थानों पर कुसमारिया के अलावा भाजपा प्रत्याशियों को भी पराजय का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद कुसमारिया को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था। वे इसके बाद से ही कांग्रेस नेताओं के संपर्क में थे। लगभग छियत्तर वर्षीय कुसमारिया भाजपा के टिकट पर सांसद भी रहे। वे विधायक का चुनाव भी जीते थे और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। राज्य में पंद्रह वर्षों बाद कांग्रेस की सरकार आयी है। अब आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दोनों ही दलों की नजर राज्य की 29 लोकसभा सीटों पर है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 29 में से मात्र दो सीटों छिंदवाड़ा और गुना पर ही विजय नसीब हुयी थी।