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Rahul, Sonia, Devegowda did not ask questions in 16th lok sabha-राहुल, सोनिया, देवैगौड़ा ने नहीं पूछे सवाल, मोदी ने पूरी खर्च नहीं की एमपीलैड की राशि - Sabguru News
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राहुल, सोनिया, देवैगौड़ा ने नहीं पूछे सवाल, मोदी ने पूरी खर्च नहीं की एमपीलैड की राशि

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राहुल, सोनिया, देवैगौड़ा ने नहीं पूछे सवाल, मोदी ने पूरी खर्च नहीं की एमपीलैड की राशि

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल से लेकर किसानों तक सरकार पर भले ही सड़क पर सवालों के तीखे तीर छोड़े हों लेकिन 16वीं लोकसभा में पूर साल पांच साल उन्होंने एक भी सवाल नहीं पूछा।

इसी तरह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी की कायापलट कर दी हो लेकिन उनकी सांसद स्थानीय विकास निधि (एमपीलैड) का पूरा उपयोग नहीं हो पाया। हालांकि गांधी भी एमपी लैड की राशि के उपयोग के मामले में मोदी की तुलना में ज्यादा कंजूस निकले।

संसद और सांसदों के कामकाज पर केन्द्रित वेबसाइट ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस डाट काम’ ने 16वीं लोकसभा के अंतिम सत्र के समाप्त होने पर पूरे पांच साल का लेखा जोखा पेश किया है। अध्ययन के मुताबिक इस लोकसभा में कुल पूछे गए 1.42 लाख सवालों में सबसे ज्यादा किसानों की आत्महत्या पर केन्द्रित थे।

लोकसभा के 93 प्रतिशत यानी सांसदों ने सवाल पूछे जबकि सात फीसदी यानी 31 सांसदों ने कोई सवाल नहीं पूछा। सवाल नहीं पूछने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी,वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, दिग्गज भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी, अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा, समाजवादी दिग्गज मुलायम सिंह यादव और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा शामिल हैं।

वेबसाइट ने लोकसभा के बजट सत्र सहित पूरे पांच साल के सभी सत्रों का गहराई से विश्लेषण कर कई रोचक जानकारियां पेश की हैं। अध्ययन के अनुसार 16वीं लोकसभा में 63 हजार से ज्यादा बार व्यवधान हुआ, 500 से ज्यादा घंटे बर्बाद हुए। लोकसभा की उत्पादकता 87 प्रतिशत रही। जबकि सांसद विकास निधि का समुचित उपयोग करने में भी सांसद विफल रहे।

वेबसाइट के अनुसार गांधी ने एमपी लैड की जहां लगभग 60.56 फीसदी राशि खर्च की है तो प्रधानमंत्री मोदी भी महज 62.96 फीसदी रकम खर्च कर पाए हैं। गांधी के नक़्शे कदम पर चलते हुए कांग्रेस के कुल 45 सांसदों ने भी इस मामले भरपूर कंजूसी दिखाई और सांसद विकास निधि का सर्वाधिक उपयोग करने वाले देश के शीर्ष 50 सांसदों में मात्र दो सांसद कांग्रेस के हैं जो 45वें एवं 49वें नंबर पर है।

सांसद निनोंग एरिंग और डीके सुरेश ही इस सूची में स्थान बनाने में कामयाब रहे। वहीं अश्विनी कुमार चौबे, गिरिराज सिंह, मुरली मनोहर जोशी और अनुराग ठाकुर जैसे कुछ सांसद ऐसे भी हैं जिन्होंने एमपी लैड का 95 फीसदी से अधिक इस्तेमाल कर दिखाया।

लोकसभा में सवाल पूछे जाने के बारे सुप्रिया सुले, विजय सिंह मोहिते पाटिल और धनंजय महाडिक जैसे सांसद भी हैं जो सवाल पूछने में सबसे आगे रहे। सोलहवीं लोकसभा में कुल 1 लाख 42 हजार से ज्यादा सवाल पूछे गए और इसमें लगभग 93 फीसदी सांसदों की सक्रिय भागीदारी रही।

उल्लेखनीय बात यह है कि सर्वाधिक सवाल किसानों की आत्महत्या और उनकी अन्य समस्याओं को लेकर पूछे गए। कुल 171 सांसदों ने किसानों की आत्महत्या पर प्रश्न पूछे। इसके अलावा वित्त, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और रेलवे से सम्बंधित प्रश्न भी ज्यादा पूछे गए।

अध्ययन के मुताबिक सवालों से ज्यादा सांसदों की रूचि बहस और अन्य संसदीय कामकाज में दिखी और इसमें 94 फीसदी से ज्यादा सांसदों ने भागीदारी दर्ज कराई। इस लोकसभा के पांच सालों में 32314 बार विभिन्न विषयों पर बहस हुई और उत्तरप्रदेश के बांदा से सांसद भैरो प्रसाद मिश्र 2038 बार बहस में अपनी सक्रिय भूमिका निभाकर सबसे आगे रहे।

लोकसभा में हुए कामकाज और बर्बाद हुए समय का विश्लेषण किया जाए तो 16वीं लोकसभा की उत्पादकता कुल मिलाकर 87 प्रतिशत रही। सबसे अधिक काम 2016 के बजट सत्र में और सबसे कम काम बीते वर्ष शीतकालीन सत्र में हुआ। बजट सत्र में जहाँ 126 फीसदी काम हुआ वहीँ शीतकालीन सत्र में महज 17 काम हो पाया। लोकसभा में कुल मिलाकर 1659 घंटे 47 मिनट ही काम हुआ और तक़रीबन 500 से ज्यादा घंटे का समय बर्बाद हुआ।

सोलहवीं लोकसभा के पांच सालों में कुल 63,443 बार व्यवधान हुआ. इसके अलावा, 609 बार सांसद आसन के पास पहुंचे और 171 बार बहिर्गमन किया। बार बार के व्यवधानों के कारण 313 बार लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। सतत व्यवधान के कारण सांसद लोकसभा में कम रहने के कारण 191 बार तो कोरम पूरा करने के लिए घंटी बजानी पड़ी।

अध्ययन के अनुसार 16वीं लोकसभा में 219 सरकारी विधेयक रखे गए और इनमें से 93 प्रतिशत पारित हो गए जबकि 1117 गैरसरकारी विधेयक पेश किए गए जिन्हें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के सांसदों ने पेश किया। इस लोकसभा में पांच सालों में औसतन 80 फीसदी उपस्थिति दर्ज की गई। इसमें पुरुष सांसदों की मौजूदगी 80.34 प्रतिशत और महिला सांसदों की उपस्थिति 77.98 फीसदी रही।

यदि पार्टी वार सांसदों की उपस्थिति की बात करें तो सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद उपस्थिति के मामले में पांचवे तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद संसद में मौजूदगी के मामले में 21 वें स्थान पर रहे। व्यक्तिगत उपलब्धि के तौर पर देखे तो भाजपा के भैरो प्रसाद मिश्र और बीजू जनता दल के डॉ कुलमणि सामल ने शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई। युवा सांसदों ने उपस्थिति के मामले में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई।

सांसद विकास निधि के खर्च की बात है तो अब तक 30 फीसदी से अधिक निधि बिना खर्च हुए सरकारी खजाने की शोभा बढ़ा रही है। कहने का तात्पर्य यह है कि सांसदों को हर साल मिलने वाली विकास राशि भी पूरीतरह से खर्च नहीं हो पाई।

एमपी लैड पर सरकार की ही वेबसाईट पर उपलब्ध आकंड़ों के अनुसार 10 जनवरी 2019 तक बिना खर्च हुए 4021.13 करोड़ रुपए जमा हैं। सांसद विकास निधि खर्च करने में महिला सांसद बेहतर हैं। उन्होंने 72 फीसदी राशि खर्च कर दी जबकि पुरुष सांसद 69.33 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाए। राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तराखंड के सांसद इस राशि को खर्च करने के मामले में सबसे फिसड्डी हैं।