नई दिल्ली। आयकर विभाग ने शनिवार को बताया कि भोपाल स्थित एक प्रमुख कारोबारी समूह पर छापेमारी के दौरान 700 करोड़ रुपए की आय पर कर चोरी, शेयर बाजार के नियमों का उल्लंघन और सूचीबद्ध कंपनियों से लाभ की हेराफेरी के सबूत मिले हैं। आय पर कर चोरी का आंकड़ा बढ़ भी सकता है, क्योंकि अभी जांच जारी है।
आयकर विभाग ने गुरुवार को इस समूह देश भर में स्थित कई परिसरों और समूह के प्रवर्तकों ओल्टाथा निदेशकों सहित वरिष्ठ अधिकारियों के यहां छापेमारी की थी। यह समूह मीडिया, रियलिटी, पावर, टेक्सटाइल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करता है। छह हजार करोड़ रुपए के वार्षिक कारोबार वाले इस समूह के मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, नोएडा और अहमदाबाद सहित 9 शहरों में 20 आवासीय और 12 कारोबारी परिसरों पर छापेमारी की गई।
विभाग की ओर से शनिवार को जारी बयान में बताया गया है, ‘छापेमारी के दौरान यह पता चला है कि वे अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियां चला रहे थे, जिनका इस्तेमाल फर्जी खर्चों की बुकिंग और धन को इधर से उधर करने के लिए हो रहा था। कई कर्मचारी जिन्हें शेयरधारक और निदेशक बनाया गया था, उन्होंने छापेमारी के दौरान कबूल किया कि उनके नाम से चलाई जा रही कंपनियों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
साथ ही बताया कि उन्होंने अपने आधार कार्ड और डिजिटल हस्ताक्षर कंपनी को भरोसे में दिए थे। कुछ रिश्तेदार पाए गए, जिन्होंने स्वेच्छा से और जानबूझकर कागजात पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उन्हें जिन कंपनियों का निदेशक या शेयरधारक बनाया गया था उनकी व्यवसायिक गतिविधियों की कोई जानकारी या नियंत्रण नहीं था।
विभाग ने बताया कि इन कंपनियों का इस्तेमाल फर्जी खर्च बुकिंग, सूचीबद्ध कंपनियों से मुनाफे में हेराफेरी जैसे कई मकसद के लिए किया गया। उसने कहा कि छापेमारी के दौरान उन्हें सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सेबी की ओर से निर्धारित नियमों का उल्लंघन भी पाया है। बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम के आवेदन की भी जांच की जाएगी।
विभाग ने कहा कि समूह की रीयल्टी ईकाई ने एक राष्ट्रीयकृत बैक से 597 करोड़ का टर्म लोन लिया जिसमें से 408, करोड़ रुपए एक सहायक कंपनी को मात्र एक फीसदी ब्याज पर दे दिया जबकि रीयल एस्टेट कंपनी अपनी कर योग्य आय में से ब्याज भुगतान का दावा कर रही है। उसने कहा कि प्रवर्तकों और प्रमुख कर्मचारियों के यहां से 26 लॉकर मिले हैं जिसको अभी खोला जाना है।