नई दिल्ली। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के आह्वान पर सरकार के कर्मचारी विरोधी रवैये के खिलाफ रेल कर्मचारियों ने देशव्यापी काला दिवस मनाया और सरकार से महंगाई भत्ते के अविलम्ब भुगतान, श्रम कानूनों में सुधार पर रोक, निजीकरण एवं निगमीकरण पर रोक, सभी कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर प्रदान किये जाने इत्यादि की मांग की।
एआईआरएफ ने सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन तथा मास्क और सैनीटाइजर्स का प्रयोग करते हुए दिनांक 1 से 6 जून तक सभी जोनों में देशव्यापी जन-जागरण अभियान चलाया था। एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि रेलवे कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को फ्रीज करने, श्रम कानूनों में बदलाव, निजीकरण, मल्टी स्कीलिंग, श्रम सुधार के नाम पर कर्मचारियों के साथ धोखा किया जा रहा है।
जो रेल कर्मचारी 24 घंटे कोरोना जैसी महामारी के समय में भी अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और मेहनत से बिना अपनी जान की परवाह करते हुए कार्य करते रहे, सरकार ने उन्हे शाबासी और उपहार देने के बजाय उनके महंगाई भत्ते को ही फ्रीज कर दिया जिससे रेल कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों में भारी रोष व्याप्त है।
मिश्र ने कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में सरकार मजदूर विरोधी काम कर रही है। यह सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता को दर्शाता है जिससे कर्मचारी अनजान नहीं हैं। वे इसे सहन नहीं करेंगे।
महामंत्री के अनुसार सरकार के विरोध में लगभग नौ लाख रेल कर्मियों ने भागीदारी की। श्री मिश्र ने सभी सम्बन्धित यूनियनों को बधाई दी। श्री मिश्र ने कहा कि सरकार रेल कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा न ले और कोरोना की आड़ में अपनी कुटिल मानसिकता को न दर्शाये अन्यथा इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि अभी हम देश मे कोरोना जैसी महामारी के प्रभाव को देखते हुए चुप हैं, क्योंकि हम देश और देश के लोगों के बारे मे सोच रहे हैं, लेकिन अगर सरकार इसी तरह इस बीमारी की आड़ में रेल कर्मचारियों की अनदेखी करती रही और उनका शोषण करती रही तो इसका अंजाम सरकार को भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।