नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने तय किया है कि रेलकर्मियों की भर्ती को बढ़ाया जाएगा और अब साढ़े छब्बीस हजार की बजाय साठ हजार सहायक लोको पायलट और तकनीशियनों की नियुक्ति की जाएगी। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि इसके लिए मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में ही भरे जाने वाले वाले पदों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया है।
गुरुवार को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि रेल मंत्रालय ने फरवरी, 2018 में एएलपी और तकनीशियन की भर्ती के लिए 26502 पदों की घोषणा की थी। अब एएलपी और तकनीशियन पदों की 26502 अधिसूचित रिक्तियों को बढ़ाकर लगभग 60 हजार रिक्तियां किए जाने की संभावना है।
रेलवे के जानकारों के अनुसार लोको पायलट एवं तकनीशियन सीधे संरक्षा से जुड़े हैं और लोको पायलटों की लंबे अरसे से शिकायत रही है कि उन्हें तय समय से अधिक काम करना पड़ता है जिससे उनकी सेहत प्रभावित होती है और थकान एवं नींद के कारण मानवीय चूक या दुर्घटना होने की संभावना रहती है। एएलपी और तकनीशियन की भर्ती के पदों को बढ़ाने से हर जोन एवं मंडल में लोको पायलट एवं तकनीशियनों पर दबाव कम होगा और वे अधिक क्षमता से कार्य कर पाएंगे।
उल्लेखनीय है कि अधिसूचित 26502 रिक्तियां विभिन्न रेलवे जोन और राज्यों में हैं तथा इन पदों पर भर्ती की परीक्षा के लिए देशभर से 47 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। लगभग 40 लाख उम्मीदवारों (83 प्रतिशत) को 500 किलोमीटर के दायरे में परीक्षा केन्द्र दिए गए हैं। महिला और दिव्यांग उम्मीदवारों को उनके अपने या निकट के शहरों में परीक्षा केन्द्र आवंटन में प्राथमिकता दी गई है।
कुछ राज्यों में उपयुक्त महत्वपूर्ण सुरक्षा विशेषताओं से लैस परीक्षा केन्द्रों की उपलब्ध क्षमता की तुलना में अधिक मात्रा में उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। बिहार से लगभग नौ लाख, उत्तर प्रदेश से लगभग 9.5 लाख और राजस्थान से लगभग साढ़े चार लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। इस तरह कुछ उम्मीदवारों के लिए परीक्षा देने अन्य राज्यों में जाना अपरिहार्य हो गया है।
सुनिश्चित किया जा रहा है कि जिन उम्मीदवारों ने शुरूआत में आवेदन कर दिया था। उन्हें उनके अपने या निकट के शहरों में परीक्षा केन्द्र उपलब्ध करा दिए जाएं। जिन लोगों ने देर से आवेदन किया है या अंतिम तिथि के आस-पास जिनका आवेदन हुआ है, उन उम्मीदवारों को दूर के शहरों में केन्द्र आवंटित किए गए हैं।
पारम्परिक भर्ती व्यवस्था में विकेन्द्रीकृत तरीके से परीक्षा आयोजित की जाती थी और उम्मीदवारों को आवेदन किए जाने वाले जोन तक यात्रा करनी पड़ती था। केन्द्रीकृत कम्प्यूटर आधारित परीक्षा से यात्रा करने की जरूरत में कमी आती है। इस तरह लगभग 40 लाख उम्मीदवारों को उनके अपने शहरों या निकट के शहरों में केन्द्र आवंटित कर दिए गए हैं।
लगभग सभी महिला और दिव्यांग उम्मीदवारों को 200 किलोमीटर के दायरे में परीक्षा केन्द्र आवंटित किए गए हैं। हालांकि उचित परीक्षा केन्द्रों की उपलब्धता संबंधी बाध्यता के मद्देनजर, सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद सबको उनके अपने या निकट के शहरों में समाहित नहीं किया जा सकता है।