बारिश के मौसम में पहली बार बादल नजर आने पर वह देखने लायक दृश्य होता है। ऐसे मौसम में हर कोई पहली बारिश में भीगना और अपने बचपन को फिर से जीना चाहता है। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं निश्चितरूप से हमारे मन में कई परेशानियां उत्पन्न लगती हैं। जैसे कि बारिश की वजह से खुजली, रैशेज और हमारे चेहरे, शरीर पर एलर्जी।
बारिश के साथ 35 डिग्री तापमान और दिल्ली की तरह उससे भी अधिक होने पर, अत्यधिक नमी के कारण लगातार पसीना टपकता है और हमारे चेहरे से सीबम निकलने लगता है और साथ ही सूरज की हल्की रोशनी इस स्थिति को और बिगाड़ देती है। इसकी वजह से सन टैन, जलन, और यहां तक कि त्वचा में नमी की कमी हो जाती है। इतना ही नहीं, गैस्ट्रिक एसिडिटी और अपच (बारिश के मौसम में होने वाली स्वास्थ्य की बड़ी परेशानियों में से एक) हमारी त्वचा को स्किन डिसआॅर्डर के लिये और अधिक सक्रिय बना देती है।
हर दिन हमारा शरीर गर्मी और मौसम के अन्य परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया करता है। मुझे पक्का विश्वास है कि आपने खुद में और औरों में इस पर गौर किया होगा। हमारा शरीर हमेशा अधिक तापमान के साथ तालमेल नहीं बिठा पाता, खासकर यदि हम दिन में लगातार नमी बनाये रखने की जरूरत को लेकर सतर्क नहीं रहते हैं। नमी और गर्मी मिलकर, सबसे महत्वपूर्ण कार्य, हमारे शरीर से वाष्पीकरण होने से रोक देती है, यह शरीर को ठंडा रखने की व्यवस्था होती है।
त्वचा के जरिये यदि वाष्पीकरण नहीं हो रहा है तो, हमारे शरीर का आंतरिक तापमान बढ़ जाता है और उससे हमारे शरीर में पीड़ादायी बदलाव होते हैं, जैसे- चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल दानों के साथ त्वचा पर खुजली होना। जब व्यक्ति खड़ा हो रहा होता है तो मस्तिष्क तक रक्त संचार में कमी होने पर सिनोकाप, यानी बेहोशी और अचेतना होती है।
आयुर्वेद के अनुसार, गर्मी का मौसम ‘पित्त दोष’ का होता है, जोकि अग्नि तत्व से संबंधित होता है। यह मेटाबालिज़्म और शरीर में होने वाले परिवर्तनों के लिये जिम्मेदार होता है, इसमें पाचन भी शामिल है। कई सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पित्त दोष से संबंधित है, जैसे सीने में जलन, शरीर का अत्यधिक तापमान और पसीना निकलना, त्वचा की परेशानियां जैसे त्वचा पर रैशेज हो जाना, कांटेदार फुंसियां और एक्ने, पेट में अत्यधिक एसिडिटी हो जाना और पेप्टिक अल्सर, रूखे बाल, असहजता और गुस्सा।
उच्च नमी के साथ 30 डिग्री से अधिक तापमान के साथ मूड स्विंग जुड़ा हुआ है और आपको आराम करने की जरूरत है, साथ ही साथ तनाव संबंधी डिसआर्डर से बचने की। वरना, ये आपके चेहरे, बालों और शरीर में अत्यंत परेशानी खड़ी कर सकता है। एसिडिटी और अपच आपके चेहरे के पीची स्तर से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो अधिक एलर्जी, टैनिंग और चेहरे की चमक को खत्म करने का काम करता है। तरल पदार्थों, फलों के रस, सलाद और उच्च रेशे वाले खाद्य पदार्थों के जरिये चेहरे और शरीर को पुनः नमी प्रदान की जा सकती है। इससे चेहरे की चमक को दोबारा वापस लाने में मदद मिलती है।
यहां कुछ काम्बिनेशन दिये गये हैं, जो बारिश के मौसम में आपके चेहरे पर चमत्कारी असर डालते हैं, अरोमाथैरेपी के जरिये त्वचा और शरीर को डी-टैन करना
डेड सी साल्ट 1/2 टीस्पून, 1/2 टीस्पून ब्राउन शुगर, 1/2 टीस्पून उबटन और 1 टीस्पून शिया बटर के साथ इसका पेस्ट तैयार कर लें, इसमें 10 बूंदें नींबू का रस और 2-4 बूंदें नेरोली आयल की मिलायें। इस पेस्ट को हल्के हाथों से 5-10 मिनट तक अच्छी तरह से चेहरे और शरीर पर रगड़ना चाहिये और उसके बाद 5 मिनट के लिये छोड़ देना चाहिये। अच्छी तरह से धोकर एसपीएफ 10-20 सस्क्रीन लगायें। इस प्रक्रिया को हर हफ्ते दोहरायें और फिर देखें तीन बार लगाने पर इसके जादुई असर को।
एंटी पिंपल फेशियल तैलीय और चिपचिपी त्वचा के लिये
1. मिन्ट फेशियल जैल से चेहरे की सफाई करें
2. 8-10 मिनट के लिये हाई फ्रीक्वेंसी ओजोन ट्रीटमेंट दें
3. एंटी ऐस आयल (2-4 बूंदें) के साथ चेहरे पर भाप लें
4. कोल्ड कम्प्रेशन लें
5. 10-15 मिनट के लिये टी ट्री फेशियल जैल लगायें और फिर पोछ लें
6. नीम और पुदीने का फेस पैक लगायें और पूरी तरह सूख जाने के बाद धो लें।
7. स्किन टोनर लगायें
ध्यान दें:
मुंहासे वाली त्वचा को उंगलियों से ना छुएं, इसे इन्फेक्शन और बढ़ सकता है। तला-भुना खाना, जंक फूड खासकर कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रिज का पानी और मीठा खाने से बचें।
आपको सलाद और साबुत फलों को खाने में शामिल करना चाहिये। जितना अधिक संभव हो पानी पियें।
घरेलू उत्पाद
1. पुदीना युक्त फेशियल जैल या नीम और तुलसी फेस वाश- दिन में दो बार लगायें
2. स्किन टोनर
3. नीम और पुदीने का फेस पैक- हर दूसरे दिन इसे लगायें। जब तक कि पूरी तरह सूख ना जाये।
4. चेहरे की भाप के लिये टी ट्री आयल
बालों का झड़ना और बालों की चमक- बालों में रूसी, सूखी, खुजलीदार स्कैल्प
बालों और स्कैल्प की समस्याओं के लिये गर्मियों और बारिश के मौसम में की जाने वाली अरोमाथैरेपी में रोज़मैरी आयल 1 बूंद, बेसिल आयल 1 बूंद, टी ट्री आयल 1 बूंद और पचैली आयल की 1 बूंद को 1 टीस्पून बादाम के तेल या फिर एक्स्ट्रा वर्जिन आलिव आयल के साथ मिलाकर स्कैल्प पर हर दूसरी रात को हल्के हाथों से 10-15 मिनट के लिये लगायें। अगले दिन लैवेंडर शैम्पू के साथ सिर को धो लें। पीएच 5.5 हेयर कंडीशनर या हेयर स्पा क्रीम लगायें।
समय पूर्व बालों के झड़ने, रूसी और रसायनिक रूप से उपचारित और क्षतिग्रस्त दोमुंहे बालों के लिये
1. बालों को शैम्पू से अच्छी तरह से धोयें
2. 10-15 मिनट के लिये हाई फ्रीक्वेंसी ओजोन ट्रीटमेंट लें।
3. हेयर स्पा आयल लगायें और एक्यूप्रेशर पाइंट पर हल्के हाथों से दबाव डालें।
4. स्कैल्प पर 5 मिनट के लिये भाप लें
5. बालों की जड़ों में हेयर वाइटलाइजिंग लगायें (त्रिफला पावडर और हीना पावडर के दो-दो चम्मच मिलाकर गुनगुने पानी में मिलायें और 20 मिनट के लिये छोड़ दें)
6. 30-45 मिनट के बाद बालों को हेयर स्पा शैम्पू से धो लें
7. हेयर स्पा क्रीम लगायें और गर्म तौलिये से लपेटें। इसकी जगह पर हूड स्टीमर के नीचे 5 मिनट के लिये बैठें।
8. स्पा क्रीम को धो लें और बालों की अच्छी तरह से स्टाइलिंग करें।
प्रोटीन से भरपूर भोजन, खासतौर से अंकुरित अनाज और सलाद का सेवन करें
घरेलू देखभाल
1. रात में लगाने के लिये एंटी डैंडर्फ हेयर आयल
2. शैम्पू (आयली बालों के लिये लैवेंडर और रूखे बालों के लिये जोजोबा आयल)। सुबह बालों को धो लें।
3. शैम्पू के बाद हेयर कंडीशनर या हेयर स्पा क्रीम लगायें। 5-10 मिनट के बाद दोबारा धो लें।
पैरों की देखभाल
बारिश के मौसम में पैरों के तलुओं का इन्फेशन हमेशा से ही चिंता का विषय रहा है (एथलीट्स फुट) और इसमें विशेष प्रकार के पैडीक्योर की जरूरत होती है।
एक टीस्पून डेड सी साल्ट और दो बूंदें बेसिल आयल को पैडीक्योर टब में डालें और पैरों को 10-15 मिनट के लिये डुबोकर रखें। इससे हमेशा ही फंगल डिसआर्डर से उबरने में मदद मिलती है। पैरों के पूरी तरह सूख जाने के बाद मोजे पहनना और पाउडर लगाना ना भूलें।
डॉ. नरेश अरोड़ा
चेस अरोमाथैरेपी कास्मैटिक्स के संस्थापक