जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी छोड़ने और बगावत करने वाले नेताओं की होड़ के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत के विधान सभा चुनाव लड़ने की घोषणा से राजनीति गरमा गई है।
दौसा के सांसद और नागौर से विधायक रहे हबीबुर्रहमान के भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने आैर कर्ई दिग्गज मंत्रियों पर तलवार लटकने तथा एक मंत्री सहित कई विधायकों के बगावत पर उतरने से भाजपा में काफी उथल फुथल मची हुई है।
चिकत्सा मंत्री कालीचरण सराफ के सामने भाजपा के वरिष्ठ नेता डा एसएस अग्रवाल ने चुनौती खड़ी कर दी है जिससे सराफ की उम्मीदवारी पर संशय खड़ा हो गया है। सांगानेर में भाजपा के विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी के पार्टी छोड़ने के बाद यहां से पार्टी को मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। पूर्व पुलिस महानिदेशक आेमेन्द्र भारद्धाज तथा गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा को यहां से उम्मीदवार बनाने के कयास लगाए जा रहे है।
कांग्रेस में हालांकि उम्मीदवारों की एक भी सूची नहीं जारी होने से आन्तरिक कलह दिखाई दे रहा है। एक भी सूची नहीं जारी होने से कांग्रेस में अभी शांति दिखाई दे रही है हालांकि डॉ हरिसिंह सरीखे नेताओं को लेकर प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी और वरिष्ठ नेताओं के बीच तनातनी हो चुकी है।
पूर्व मंत्री बृजकिशोर शर्मा ने टिकट मिलने का इंतजार किए बिना ही अपना दावा ठोंक दिया है तथा उन्होंने नामांकन पत्र भी मंगवा लिए है। कांग्रेस की गोमा सागर ने भी टिकट नहीं मिलने पर बगरु से निदर्लीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
पायलट के चुनाव लड़ने की घोषणा के बावजूद चुनाव क्षेत्र का चयन नहीं करने से कांग्रेस में उत्सुकता बनी हुई है। गहलोत पहले ही जोधपुर में सरदारपुरा से चुनाव लड़ने की मंशा जता चुके है। दोनों नेताओं के चुनाव लड़ने पर पार्टी में प्रचार अभियान पर असर पड़ने के कयास लगाए जा रहे है।