जयपुर। कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में सहयोगी दलों के लिए अंतत पांच सीटें छोड़कर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए आज बिसात बिछा दी।
पार्टी ने विधानसभा की 200 सीटों में से 195 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि पांच सीटों में से दो-दो सीटें राष्ट्रीय लोक दल और लोकतांत्रिक जनता दल तथा एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ी है।
अब तक विधानसभा चुनाव में गठबंधन को सिरे से खारिज करती रही कांग्रेस के इस कदम को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनायी गई दीर्धावधि रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के लिए भरतपुर विधानसभा सीट और टोंक जिले की मालपुरा सीट छोड़ी है। लोकतांत्रिक जनता दल को बांसवाडा जिले की आदिवासी सीट कुशलगढ और अलवर जिले की मुंडावर सीट दी गई है। तीसरे सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को पाली जिले की बाली सीट दी गई है।
कांग्रेस ने सहयोगी दलों के लिए सीटें छोडकर दोहरी रणनीति अपनायी है जिसका उसे विधानसभा चुनाव में तो फायदा मिलने की संभावना है ही साथ ही इससे अगले पांच-छह महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का आधार भी तैयार होगा।
लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी गई सीट कुशलगढ पर सामाजिक कार्यकर्ता रहे और आदिवासी क्षेत्रों में कल्याण कार्यों में अपना जीवन खपा देने वाले मामा बालेश्वर दयाल का अभी भी प्रभाव है।
समाजवादी आंदोलन के अगुवा रहे मामा बालेश्वर दयाल ने ही जनता दल यू को भीलों के तीर को चुनाव चिह्न के रूप में अपनाने का सुझाव दिया था। राज्य की आदिवासी सीटों पर उनका लगभग एकछत्र प्रभुत्व था।
पार्टी ने जाट प्रभुत्व भरतपुर जिले में भी राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन किया है। उसे लगता है चौधरी अजीत सिंह इस क्षेत्र में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर यह सीट गठबंधन के खाते में जोड़ सकते हैं।