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rajasthan assembly elections 2018 : Tri-angel battle on eight seats in Jaipur district-राजस्थान चुनाव : जयपुर जिले की आठ सीटों पर त्रिकोणात्मक मुकाबला - Sabguru News
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राजस्थान चुनाव : जयपुर जिले की आठ सीटों पर त्रिकोणात्मक मुकाबला

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राजस्थान चुनाव : जयपुर जिले की आठ सीटों पर त्रिकोणात्मक मुकाबला

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में जयपुर जिले में बागियों एवं निर्दलीय की वजह से उन्नीस विधानसभा क्षेत्रों में से आठ सीटों पर सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी एवं प्रमुख विपक्ष कांग्रेस के साथ त्रिकोणात्मक तथा शेष सीटों पर सीधा मुकाबला होने के आसार हैं।

राजधानी जयपुर में पिछले तीन विधानसभा चुनाव से भाजपा का कब्जा वाले सांगानेर में इस बार भाजपा छोड़कर भारत वाहिनी पार्टी नई पार्टी बनाने वाले एवं भाजपा प्रत्याशी के रुप में छह बार विधायक चुने गये घनश्याम तिवाड़ी के इस बार भावापा पार्टी के उम्मीदवार के रुप में चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक एवं त्रिकोणात्मक नजर आ रहा हैं।

सांगानेर में मुख्य मुकाबला तिवाड़ी और भाजपा के प्रत्याशी महापौर अशोक लाहौटी एवं कांग्रेस उम्मीदवार पुष्पेन्द्र भारद्वाज के बीच माना जा रहा हैं। हालांकि बहुजन समाज पार्टी के सीताराम सिंघानिया तथा अन्य दलों एवं निर्दलीय सहित कुल 29 प्रत्याशी अपना चुनावी भागय आजमा रहे हैं।

तिवाड़ी सांगानेर से वर्ष 2003 से पिछले चुनाव तक लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं और इससे पहले वह सीकर से 1980 एवं 1985 तथा वर्ष 1993 में जयपुर जिले की चौमू सीट से भाजपा प्रत्याशी के रुप में विधायक विधानसभा पहुंचे तथा राज्य के शिक्षा मंत्री रहे।

उनका क्षेत्र में काफी राजनीतिक प्रभुत्व माना जाता है लेकिन इस बार वह नई पार्टी से चुनाव लड़ने तथा कांग्रेस ने उनके समाज के ही भारद्वाज तथा भाजपा ने वैश्य समाज के लाहौटी को चुनाव मैदान में उतारने से मुकाबला रोचक बन गया हैं।

सांगानेर से वर्ष 1977 से 1990 तक विद्या पाठक ने जनता पार्टी एवं भाजपा उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 1993 एवं 1998 के दो चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार इंदिरा मायाराम ने जीते।

इसी तरह शहर की विद्याधर नगर सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में दो बार हार का सामना करने वाले विक्रम सिंह शेखावत के टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद जाने से भाजपा उम्मीदवार एवं विधायक नरपतसिंह राजवी एवं कांग्रेस प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल के बीच त्रिकोणात्मक चुनावी मुकाबले की स्थिति बनती जा रही हैं।

राजवी 1993, 2003 से पिछली विधानसभा तक चार बार विधायक चुने गये और चित्तौड़गढ के बाद पिछली बार वह विद्याधरनगर से चुनाव लड़ा और शेखावत को करीब अड़तीस हजार मतों से हराया था। भाजपा उम्मीदवार के रुप में उनका राजनीतिक प्रभुत्व रहा हैं लेकिन इस बार कांग्रेस ने शेखावत की जगह सीताराम अग्रवाल को टिकट दे देने से मामला रोचक बन गया।विद्याधरनगर से बसपा उम्मीदवार मदन लाल बेनीवाल सहित कुल 21 प्रत्याशी अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

इसी तरह जयपुर की आमेर सीट भी भाजपा, कांग्रेस और बसपा उम्मीदवार के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला होने के आसार हैं। आमेर में भाजपा ने सतीश पूनिया को फिर मौका दिया गया हैं जबकि कांग्रेस ने नया चेहरा प्रशांत शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि मौजूदा राजपा विधायक नवीन पिलानियां इस बार बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं जिससे आमेर विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोचक बन गया हैं।

आमेर सीट पर अब तक कांग्रेस का सबसे अधिक नौ बार कब्जा रहा है तथा चार बार भाजपा उम्मीदवार ने चुनाव जीता हैं जिसमें तीन बार मुख्यमंत्री रहे भैरों सिंह शेखावत ने भी 1985 में आमेर से चुनाव जीता था।

पिलानियां पिछली बार जाट एवं मीणा गठजोड़ से विधायक बनने में कामयाब रहे और इस बार बसपा में आकर जाट एवं अनुसूचित जाति के मतदाताओं के सहारे फिर विधानसभा पहुचंने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के ब्राह्मण होने के कारण भाजपा, बसपा और कांग्रेस में रोचक मुकाबल होने के आसार हैं।

पिछली बार पुनिया पिलानियां से मात्र 329 मतों से चुनाव हार गए थे। आमरे सीट पर इनके अलावा आम आदमी पार्टी के हेम चंद सैनी तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के रामजी लाल यादव सहित कुल पन्द्रह प्रत्याशी चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

जिले की ग्रामीण दूदू (सुरक्षित) सीट पूर्व मंत्री बाबू लाल नागर को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण भाजपा ने मौजूदा विधायक प्रेम चंद बैरवा तथा कांग्रेस ने नया चेहरा रितेश बैरवा के साथ त्रिकोणात्मक मुकाबला बन गया हैं। पिछले चुनाव में प्रेम चंद बैरवा ने कांग्रेस के हजारी लाल नागर को 33 हजार 720 मतों से हराया था।

बाबू लाल नागर दूदू से वर्ष 1998, 2003 एवं 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता था लेकिन मंत्री रहते उन पर दुष्कर्म के आरोप लगने के बाद जेल जाने पर पिछली बार चुनाव नहीं लड़ पाये और इस बार भी कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया इससे नाराज होकर वह निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए जिससे मुकाबला रोचक बन गया। बाबू लाल नागर की क्षेत्र में मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जा रही हैं।

दूदू सीट पर छह बार कांग्रेस का कब्जा रहा हैं जिसमें एक बार कांग्रेस आई का उम्मीदवार चुनाव जीता हैं जबकि भाजपा केवल एक बार 1985 में यहां से चुनाव जीता हैं। इसी तरह दो बार स्वतंत्र पार्टी, एक बार जनता पार्टी, राम राज्य परिषद एवं जनता दल के प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचा हैं। दूदू से इनके अलावा बसपा के रंगलाल एवं आप पार्टी के जुरी राम सहित कुल दस उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

जिले की बस्सी विधानसभा क्षेत्र में मौजूदा निर्दलीय विधायक अंजू देवी, भाजपा उम्मीदवार पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीणा तथा कांग्रेस प्रत्याशी दौलत सिंह मीणा के बीच त्रिकोणात्मक स्थिति बनने की संभावना हैं लेकिन दो बार लगातार निर्दलीय चुनाव जीतने से अंजू देवी की क्षेत्र में राजनीतिक प्रभुत्व जम चुका हैं और उसके सामने दोनों प्रमुख दलों के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं लग रहा हैं।

अंजू देवी वर्ष 2008 एवं 2013 में बस्सी से निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता हैं जबकि कन्हैया लाल वर्ष 1993, 1998, 2003 में भाजपा उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीत चुके हैं और उनका भी राजनीतिक प्रभुत्व रहा हैं। इस बार कांग्रेस ने नया चेहरा उतारा हैं। इससे चुनाव में त्रिकोणात्मक मुकाबला होने के आसार हैं।

इसी प्रकार ग्रामीण फुलेरा सीट पर कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण विधानसभा में विपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी की रिश्तेदार स्पर्धा चौधरी के निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद जाने से भाजपा उम्मीदवार मौजूदा विधायक निर्मल कुमावत और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व विधायक हरी सिंह के पुत्र विधाधर चौधरी के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबल बन गया हैं। चौधरी के चुनाव मैदान में उतरने से जाट मतदाताओं के वोट बंटने संभावना के कारण इसका कांग्रेस उम्मीदवार को नुकसान होने का आसार हैं।

कुमावत वर्ष 2008 एवं पिछले चुनाव तक लगातार दो बार विधायक चुने जा चुके हैं और उनका राजनीतिक प्रभुत्व जमने लगा हैं लेकिन इस बार भाजपा बागी दीनदयाल उनको नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि स्पर्धा के चुनाव मैदान में आने से फुलेरा में मुकाबला ज्यादा रोचक बन गया हैं। फुलेरा से कांग्रेस सात बार चुनाव जीत चुकी हैं जबकि भाजपा तीन बार, एक बार जनता पार्टी, लोकदल, स्वतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता हैं। इस बार फुलेरा से बसपा, आप एवं माकपा सहित कुल 18 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

इसी तरह जिले की ग्रामीण शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र में राज्यपाल एवं उपमुख्यमंत्री रही कमला बेनीवाल के पुत्र आलोक बेनीवाल के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाने से भाजपा उम्मीदवार विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह एवं कांग्रेस प्रत्याशी मनीष यादव की बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला होने की संभावना हैं। यादव पिछली बार यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। शाहपुरा से बसपा के रामावतार वर्मा एवं निर्दलीय सहित कुल नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

राजेन्द्र सिंह शाहपुरा से वर्ष 2003 से लगातार भाजपा विधायक हैं और उनका क्षेत्र में राजनीतिक दबदबा भी हैं लेकिन इस बार कमला के पुत्र आलोक के चुनाव मैदान में होने से कमला का राजनीतिक प्रभुत्व के चलते यहां मुकाबला त्रिकोणात्मक बन गया हैं। कमला भी अपने बेटे को जिताने के लिए लोगों से अपील कर रही हैं।

जयपुर जिले की इन आठ सीटों पर के अलावा शेष सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला होने की संभावना हैं जिनमें मालवीय नगर से चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा से हैं। शर्मा पिछले चुनाव में सराफ से 48 हजार 718 के भारी अंतर से चुनाव हार गई थी।

वर्ष 1985 से भाजपा उम्मीदवार के रुप में आठवीं, नौवीं, दसवीं, बारहवी, तेरहवी और चौहदवीं विधानसभा के सदस्य चुने गये हैं। वह इस बार सातवीं बार विधानसभा पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं जबकि शर्मा पहली बार विधानसभा पहुंचने की कोशिश में हैं। मालवीय नगर से इस बार कुल 22 उम्मीदवार अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे हैं।

इसी तरह आदर्शनगर से भाजपा विधायक अशोक परनामी का कांग्रेस के नए चेहरा रफीक खान से सीधा मुकाबला हैं। पिछले चुनाव में परनामी ने कांग्रेस के माहिर आजाद को 3803 मतों से हराया था। परनामी वर्ष 2008 में भी विधायक चुने गए थे। वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उनका क्षेत्र में राजनीतिक प्रभुत्व हैं वहीं कांग्रेस के नए उम्मीदवार को इस बार सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिल सकता हैं। आदर्शनगर से इस बार अन्य दलो एवं निर्दलीय सहित कुल 31 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। चुनाव में ज्यादा उम्मीदवार होने से भी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को नुकसान उठाना पड़ सकता हैं।

शहर की हवामहल सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक सुरेन्द्र पारीक और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व सांसद महेश जोशी के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं। पारीक यहां से वर्ष 2003 में भी विधायक चुने गए थे। उन्होंने पिछला चुनाव तत्कालीन मंत्री बृजकिशोर शर्मा को 12 हजार 715 मतों से हराया था। जोशी सांसद रह चुके हैं।

हवामहल से भाजपा पांच बार चुनाव जीत चुकी हैं जबकि कांग्रेस ने दो बार, दो बार जनता पार्टी, एक बार जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी, एवं निर्दलीय ने चुनाव जीता हैं। यहां से भंवर लाल शर्मा चार बार भाजपा एवं एक बार जनता पार्टी से चुनाव जीतकर सबसे अधिक बार चुनाव जीतने प्रत्याशी हैं।

किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी विधायक मोहन लाल गुप्ता को फिर चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि कांग्रेस ने नया चेहरा अमीन कागजी को मौका दिया गया हैं। कागजी पिछली बार चुनाव हार गय थे। गुप्ता वर्ष 2003 से भाजपा विधायक हैं। इस बार किशनपोल से अन्य दलों एवं निर्दलीय सहित कुल 46 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं जो राज्य में अन्य सीटों के मुकाबले सर्वाधिक हैं।

जयपुर की झोटवाड़ा सीट पर भाजपा उम्मीदवार उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत और कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री लाल चंद कटारिया के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा हैं। शेखावत वर्ष 1990 से 2013 के बीच चार बार विधायक चुने गए हैं। वह पहली बार बनीपार्क विधानसभा क्षेत्र से 1990 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।

कटारिया भी वर्ष 2003 में आमेर से विधायक चुने जा चुके हैं और वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। झोटवाड़ा में जाट एवं यादव मतदाता निर्णायक माने जा रहे हैं और इस बार कटारिया की स्थिति मजबूत मानी जा रही हैं।

शहर की सिविल लाइंस सीट पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा़ अरुण चतुर्वेदी तथा कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच होने की संभावना हैं। डॉ चतुर्वेदी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और मंत्री बनने के बाद क्षेत्र में अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया हैं लेकिन खाचरियावास का भी राजनीतिक प्रभुत्व कम नहीं हैं और इस बार वह मजबूत स्थिति में बताए जा रहे हैं। हालांकि पिछले चुनाव में चतुर्वेदी ने खाचरियावास को 11129 मतों से हराया था। खाचरियावास कांग्रेश शहर जिला अध्यक्ष भी हैं और क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत बताई जा रही हैं। यहां से बसपा और आप एवं निर्दलीय सहित कुल 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

चौमूं में भाजपा ने मौजूदा विधायक राम लाल शर्मा को फिर चुनाव मैदान में उतारा हैं उसी तरह कांग्रेस ने भी पूर्व विधायक भगवानसहाय सैनी पर फिर भरोसा जताया हैं। शर्मा ने सैनी को पिछले चुनाव में 44 हजार 473 के भारी अंतर से हराया था। शर्मा 2008 में भी सैनी को हराया था। सैनी वर्ष 1998 में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीता था। इस बार एक फिर दोनों में मुकाबला हैं और सीधी टक्कर होने के आसार हैं। चौमू से कांग्रेस पांच बार चुनाव जीत चुकी हैं जबकि भाजपा तीन बार, दो बार स्वतंत्र पार्टी, एक बार जनता पार्टी, आरआरपी, लोकदल एवं जनता दल के उम्मीदवारों ने चुनाव जीता हैं।

इसी तरह बगरु से भाजपा उम्मीदवार मौजूदा विधायक डॉ कैलाश वर्मा और कांगेस  ने पूर्व विधायक गंगा देवी को चुनाव मैदान में उतारा हैं और दोनों में सीधा मुकाबला होने की संभावना हैं। विराटनगर विधानसभा क्षेत्र में भी मुकाबला भाजपा उम्मीदवार विधायक फूल चंद भिण्डा और कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रराज गुर्जर के बीच होने के आसार हैं।

जमवारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी महेन्द्रपाल सिंह तथा कांग्रेस के गोपाल मीना के बीच सीधी चुनावी टक्कर होने की संभावना हैं। चाकसू से भाजपाने नया चेहरा रामोतारबैरवा को चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि कांग्रेस ने अपने पूर्व प्रत्याशी वेद प्रकाश सोलंकी को एक बार फिर मौका दिया हैं जहां दोनों दलों के उम्मीदवारों में सीधा मुकाबला नजर आ रहा हैं।

इसके अलावा सांगानेर, दूदू आदि की तरह ग्रामीण कोटपुतली सीट पर भी भाजपा के मुकेश गोयल, कांग्रेस राजेन्द्र यादव तथा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के रामस्वरुप कसाना के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला होने के आसार हैं।