जयपुर। राजस्थान में शहरी निकायों के परिणाम सामने आने के बाद बोर्ड गठित करने के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ भाजपा भी अपने पार्षदों की बाड़ेबंदी में लगी हुई है।
पिछली बार के 26 निकायों के हाथ से निकलने के बाद भाजपा को कई निकायों में बड़ी पार्टी होने के बावजूद सत्तारूढ़ पार्टी से खतरा लग रहा है। बीकानेर नगर निगम में बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा को अपने पार्षदों को हरियाणा ले जाना पड़ा है। इसी तरह भरतपुर में भी कांग्रेस भाजपा बोर्ड नहीं बनाने देने पर आमादा है।
49 निकाय चुनाव में 22 निकायों में निर्दलीय पार्षदों का बोलबाला है तथा सत्तारूढ़ पार्टी किसी भी कीमत पर अपना बोर्ड बनाने से नहीं चूकना चाहती, लिहाजा बोर्ड बनाने में गहलोत सरकार के मंत्री भी लगे हुए हैं।
नवगठित छह निकायों में गढी, खाटूश्यामजी, नसीराबाद में भाजपा आगे रही जबकि रूपवास में भाजपा कांग्रेस बराबर रहीं। इसके अलावा महुवा थानागाजी में भी कांग्रेस बड़ी पार्टी रही। झुंझुनूं के पिलानी में 35 वार्ड में से 30 पर निर्दलीय तीन भाजपा एवं दो पर कांग्रेस जीती है। इन सभी स्थानों पर 26 नवम्बर को सभापति निर्वाचित होंगे।
भाजपा को कश्मीर में धारा 370 हटाने एवं राममंदिर मामले में अदालत का फैसला आने के बावजूद स्थानीय निकाय चुनाव में कोई फायदा नहीं मिला तथा पिछली बार के 26 निकाय भी हाथ से निकल गए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस जीत को सरकार के कामकाज की उपलब्धि बताया है।