जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर एवं तीन पार्षदों को निलम्बित करने, बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था, लम्बित भर्तियों, सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी सहित विभिन्न जनहित के मुद्दों को लेकर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां के आहृान पर आज राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के सभी मण्डलों पर धरना-प्रदर्शन किए गए।
इस दौरान काली पट्टी बांधकर धरने-प्रदर्शन किए गए। जयपुर में डाॅ. पूनियां के नेतृत्व एवं आहृान पर भाजपा प्रदेश कार्यालय परिसर के बाहर धरना-प्रदर्शन किया गया, जिसमें प्रदेश संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी, जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, करौली-धौलपुर सांसद मनोज राजौरिया, विधायक एवं पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी, नरपत सिंह राजवी, प्रदेश उपाध्यक्ष सरदार अजयपाल सिंह, निलंबित महापौर डाॅ. सौम्या गुर्जर, उपमहापौर पुनीत कर्णावट, प्रदेश मीडिया प्रभारी विमल कटियार, अजमेर नगर निगम उपमहापौर नीरज जैन, महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष अल्का मूंदड़ा, युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हिमांशु शर्मा, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष एम. सादिक खान, अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एच. खान, सोशल मीडिया प्रदेश प्रभारी हिरेन्द्र कौशिक सहित पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं पार्षद मौजूद रहे।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि प्रदेशभर के एक हजार से अधिक मण्डलों पर कोविड19 प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए गहलोत सरकार की तानाशाही व असंवैधानिक फैसले के खिलाफ धरने-प्रदर्शन किए गए। भविष्य में भी जनहित के मुद्दों को लेकर जब-जब जरूरत पड़ेगी भाजपा सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ने को तैयार है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बात-बात पर नैतिकता और लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, लेकिन हाथी के दांत खाने के और-दिखाने के और हैं। उनकी कथनी और करनी में इतना फर्क है कि जयपुर ग्रेटर नगर निगम की महापौर व तीन अन्य पार्षदों को निलम्बित किया जाना ये अपने आप में प्रतिशोध एवं विद्वेष को साबित करता है।
नगरपालिका अधिनियम की धारा 39 का दुरूपयोग यह प्रदेश में पहली बार हुआ है। यह साफ तौर पर कांग्रेस की खीज और बौखलाहट है। जयपुर शहर में भाजपा को बड़ा जनादेश मिला, कांग्रेस को मुँह की खानी पड़ी, उसी समय से मुख्यमंत्री के मन में ये बौखलाहट है। अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के सामान्य वाद-विवाद को उन्होंने आपराधिक मुकदमों में तब्दील किया, यह दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक एवं अलोकतांत्रिक है।
इस अवसर पर कटारिया ने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधि को एक अधिकारी के बयान के आधार पर हटा देना यह पहली घटना है जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं। प्रदर्शन के बाद डा पूनियां के नेतृत्व में भाजपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला और उन्हें इस संबंध में एक ज्ञापन देकर न्याय का अनुरोध किया।