जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने कहा है कि डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी 23 जून, 1953 को देश की एकता और अखण्डता के लिए शहीद हो गए।
डा़ पूनियां ने मंगलवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 67वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर के श्रद्धांजलि देने के बाद कहा कि नई पीढ़ी आज उनके इस बलिदान के बारे में बहुत गहराई से नहीं जानती।
कश्मीर डाॅ. श्याम प्रसाद मुखर्जी द्वारा चलाए गए आंदोलन एवं शहादत के कारण ही बचा हुआ है और आज नरेन्द्र मोदी सरकार ने कांग्रेस द्वारा कश्मीर में लगाई गई धारा 370 एवं 35ए से कश्मीर को मुक्त कर डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार किया है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि भारत का विभाजन एक बड़ी त्रासदी थी और उसके बाद नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह देश की सबसे बड़ी भूल थी। डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेहरू जी के मंत्रिमण्डल में सदस्य थे, लेकिन 1948 में जब कबायलियों का आक्रमण हुआ और नेहरू-लियाकत जो समझौता हुआ उसके विरोध में उन्होंने मतभेदों के चलते इस्तीफा दिया।
डाॅ. मुखर्जी ने 26 जून 1952 का लोकसभा के सदन में दिया गया उनका यादगार भाषण में नेहरू जी को इंगित करते हुए कहा कि या तो मैं संविधान की रक्षा करूंगा अन्यथा प्राण दे दूंगा।
उन्होंने कहा कि यह हम सब जानते हैं कि किस तरीके से देश का विघटन हुआ। गनीमत थी की सरदार पटेल थे इसलिए देश का एकीकरण हुआ और कश्मीर जिसकी लड़ाई आज भी भारत लड़ता है, वह सिर्फ और सिर्फ डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की ही देन है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर रक्तदान
अजमेर। श्यामा प्रसाद मुखर्जी जो कि जनसंघ व भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य थे आज उनके बलिदान दिवस पर भाजपा अजमेर व किशनगढ़ के 12 मंडलों पर उनके चित्र पर माल्यार्पण व किशनगढ़ चिकित्सालय में फल वितरण एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। सभी मंडलों पर भाजपा के वरिष्ठ जनों किशन सोनगरा, भागीरथ चौधरी, ओंकार सिंह लखावत, वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल आदि ने उद्बोधन में बताया कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 का शुरू से ही विरोध किया।
मुखर्जी ने कहा था कि धारा 370 देश को दो भागों में विभक्त कर रही हैं। उन्होंने एक देश मे दो निशान, दो प्रधान, दो विधान नहीं चलेंगे नही चलेंगे का नारा देते हुए धारा 370 का विरोध किया। कश्मीर में धारा 370 का विरोध करते हुए उन्होंने कश्मीर की तरफ पैदल कूच किया। कश्मीर की बॉर्डर पर शेख अब्दुल्ला सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। जेल में संदेहास्पद परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हुई। भाजपा के सभी कार्यकर्ता उनके बलिदान को सदैव आभारी रहेंगे।